महेश चन्द्र त्रिपाठी Language: Hindi 148 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read चमत्कार होते न अचानक चमत्कार होते न अचानक, यत्न किए जाते हैं। पनस समान मनुष्य सुफल का, सौरभ फैलाते हैं।। वाग्वीर नेता पाटल सम, जन-मन मोहित करते। शिक्षक-कृषक रसाल सदृश बन, ज्योति जगत में... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 111 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read संशय ऐसा रक्तबीज है संशयात्मा के विनाश का, सूत्र मोद मन में भरता है। संशय ऐसा रक्तबीज है, जो न मारने से मरता है।। कैकेयी अम्बा के उर का, संशय वन भेजता राम को।... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 73 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read ईश्वर में आसक्ति मोक्ष है ईश्वर में आसक्ति मोक्ष है, गुणासक्ति बंधन कहलाती। गुणातीत जीवन जीते जो, मुक्ति उन्हें भी है मिल जाती।। सत-रज-तम इन तीन गुणों से, जो जन ऊपर उठ जाते हैं। माया... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 145 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read भक्त जन कभी अपना जीवन भक्त जन कभी अपना जीवन, व्यर्थ नहीं खोते हैं। उनका कर्म वही है जिससे, प्रभु प्रसन्न होते हैं।। जब तक मन बलवान जगत से, नाता कभी न टूटे। मन पर... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 139 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read काम वात कफ लोभ... काम वात, कफ लोभ, क्रोध को, पित्त कहा जाता है। रोग दूर करने में सद्गुरु, वैद्य काम आता है।। वात-पित्त-कफ तीनों से ही, मानव जीवन पाता। तीनों का सन्तुलित समन्वय,... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 92 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read आने वाला आएगा ही आने वाला आएगा ही, जाने वाला जाएगा। कोई रोक न सका किसी को, कोई रोक न पाएगा।। जो जाने वाला है उसकी, हॅंसकर करें विदाई हम। आने वाले का स्वागत... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 92 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read बच्चा बच्चा बने सपूत सब मिल करें प्रयास अकूत बच्चा बच्चा बने सपूत बच्चों के हित समय निकालें उनकी जायज मांग न टालें रोग कुपोषण से रक्षा कर करें प्रदान उन्हें बल—बूत घृणा द्वेष... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 91 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read फिर कोई मिलने आया है फिर कोई मिलने आया है आशा की उर्वरा धरा पर फिर कोई तरु मुसकाया है साँस साँस सरगम सी गुंजित करती हृदय सिंधु आलोड़ित उर उपवन की कोई कलिका नहीं... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 128 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read जय जगन्नाथ ! जय जगन्नाथ !! जय जगन्नाथ ! जय जगन्नाथ !! तव चरणों में झुक जाते हैं अनुदिन अनुक्षण अनगिनत माथ तुम जगपालक ! जगउद्धारक !! तुम जगसर्जक ! जगसंहारक !! तुम दीनबंधु ! करुणानिधान... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 104 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 2 min read करते हैं जब यत्न नारियल के रेशों को बटकर, हम रस्सी मजबूत बनाते। करते हैं जब यत्न तभी तो, पय से घी निकाल हम पाते।। यत्न करें तो कुछ न असम्भव, कठिन काम भी... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 105 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read चिन्तन के पार चला अब मैं चिन्तन के पार चला तज कर मनुहार दुलार चला अपमान मान से ऊपर उठ, लो जीती बाजी हार चला। अब फिक्र न रही पराभव की टूटे त्रिशूल या... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 73 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read बासठ वर्ष जी चुका बासठ वर्ष जी चुका, जाने कितने वर्ष और है जीना जाने कितने विष के प्याले मुझको अभी और है पीना जन्मा जाने कहां, किस तरह शैशव बचपन गया बिताया कहां-कहां... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 78 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 2 min read कविता कविता दिखती है कविता कवि की कलम पकड़कर, खुद को लिखती है। तब ही, केवल तब ही, कविता, कविता दिखती है।। कविता कवि के धर्म-कर्म में, जीवन में होती। कविता कवि के साथ-साथ... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 107 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read पूज्य पिता की पुण्यतिथि आज पुण्यतिथि पूज्य पिता की, दिनभर याद रही आती उनके शुभाशीष से ऊर्जा, मेरी कलम रही पाती उनके साथ तीर्थयात्राएं, की हैं मैंने बहुतेरी एकादश ज्योतिर्लिंगों की, उनके साथ हुई... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 1 116 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read ग़लती करना प्रकृति हमारी गलती करना प्रकृति हमारी, संस्कृति है कर लें स्वीकार अनुदिन प्रगति हमारी होगी, यदि गलती का करें सुधार अपनी गलती के कारण यदि, लगे किसी के दिल पर चोट हमें... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 72 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read करना कर्म न त्यागें कर्म अनादि, वेद प्रतिपादित, करना कर्म न त्यागें कर्मभूमि में युद्ध करें हम, होकर विमुख न भागें कर्मवीर जो कर्मनिरत रह, त्याग फलाशा देते उनसे लोग प्रेरणा पाते, सीख निरन्तर... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 95 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read आओ फिर से नेता सुभाष नेता सुभाष आओ फिर से आओ फिर से नेता सुभाष हम राष्ट्रीयता जुनून लिये उर में भावना-प्रसून लिये रग-रग में रमता खून लिये दुर्दानवता के दलन हेतु हम चाह रहे... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 63 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read है कर्तव्य हमारा मायावी को माया से ही, सदा जा सका मारा। उद्धत के सॅंग उद्धत होना, है कर्तव्य हमारा।। क्रोधी को अक्रोध से जीतें, दुर्मुख को समझाएं। दान कृपण को दें, झूठे... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 81 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read सच्चे प्रेमी कहलाते हैं निर्हेतुक निष्काम निरन्तर, प्रेमपंथ पर चलने वाले सच्चे प्रेमी कहलाते हैं, राह न कभी बदलने वाले आज यहां कल वहां भटकते, वे न कभी मंजिल पाते हैं प्रेममार्ग से सदा... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 147 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read नित्य ईश की सत्ता है यह दुनिया दुखमय अनित्य है, नित्य ईंश की सत्ता है। उसकी इच्छा बिना न हिलता, तरु का कोई पत्ता है।। उसको जहाॅं बुलाओ आता, वह समीप है दूर वही। वह... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 97 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read जीना होता आज मौज मनाएं नाचें गाएं, कर लें मन के काज मौत हमेशा कल होती है, जीना होता आज कुछ न बिगाड़ें कभी किसी का, करें सभी का मान कर्म करें ऐसे... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 86 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read मैं राग भरा मधु का बादल मैं राग भरा मधु का बादल देता दुनिया को संस्पन्दन पा रहा अहर्निश अभिनन्दन मेरे अवनी पर आने की हैं बाट जोहते मन-मरुथल संगीत -सिक्त मेरा गर्जन सुन पुलकित उपवन-उर-आनन... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 146 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read चलो गीत गाएं पानी में जीवन है, आंसू में गीत चलो गीत गाएं हम, लें जग को जीत मिले नहीं पानी तो करें अश्रुपान सत्कर्म कर बढ़ाएं भारत की शान सहन करें आतप... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 107 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read मार न सकता कोई वह मरने से डरता जिसकी, प्रज्ञा रहती सोई। जिसको जीना आता उसको, मार न सकता कोई।। उसे न बाधा-विघ्न सताते, जो हॅंसहॅंसकर जीता। मरना उसे न दुख देता जो, सुधा... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 158 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read जीवन है परिवर्तनशील धर्म नित्य, सुख- दुख अनित्य है, जीवन है परिवर्तनशील। अभय रहें जब तक जीवन है, पकड़े रहें ज्ञान की कील।। सर्वभूतहित कर्म करें सब, रहें बढ़ाते सात्विक कोष। प्रतिकूलता अगर... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 82 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 30 Nov 2023 · 1 min read क्रोधी सदा भूत में जीता क्रोधी सदा भूत में जीता, वर्तमान में कामी। लोभी जीता है भविष्य में, करता नमकहरामी।। क्रोध घटित घटना पर आकर, काम बिगाड़ा करता। अधिक क्रोध का कुफल भोगती, है सारी... Hindi · गीत 225 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 30 Oct 2023 · 1 min read जग के जीवनदाता के प्रति प्राची में हम देखते नित्य, भगवान भास्कर का प्रताप। दुनिया का हर क्रीड़ा-कौतुक, उनकी ही गतिविधि का कलाप।। वे भ्रमरों के आश्रयदाता, वे चक्रवाक का हरें शोक। वे अखिल भुवन... Hindi · कविता 1 2 165 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 21 Oct 2023 · 1 min read एक रूप हैं दो जगतपिता जगजननी दोनों एक रूप हैं दो कहलाए तुम में मुझ में भेद न कोई दोनों उसी एक के जाए उसका ही सारा जहान यह वह ही नर, वह ही... Hindi · कविता 221 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 9 Oct 2023 · 1 min read जीवन पावन प्रेम नदी है जीवन पावन प्रेम नदी है, जिसमें सतत प्रवाह। शीत ताप पावस में अविरल, जो न बदलती राह।। गति जीवन का सत्य चिरन्तन, नदी संचरणशील। धारा भले पृथुल या कृश हो,... Hindi · गीत 1 174 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Oct 2023 · 1 min read धरी नहीं है धरा धरी नहीं है धरा कहीं पर यह सदैव गतिमय है। इसके अपने स्वर-व्यंजन हैं इसकी अपनी लय है।। इस पर लहराते हैं सागर रत्नाकर कहलाते। कभी ज्वार-भाटा से दोलित कभी... Hindi · कविता 2 2 175 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 29 Sep 2023 · 1 min read मेरा हृदय खुली पुस्तक है मेरा हृदय खुली पुस्तक है पर इसमें कुछ लिखा नहीं है लिखा वही खोजता कि जिसने स्वाद प्रेम का चखा नहीं है जिसने जाना स्वाद प्रेम का वह न कभी... Hindi · गीत 1 214 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 27 Sep 2023 · 1 min read तभी भला है भाई 💐💐💐 तभी भला है भाई 💐💐💐 ********************************* दूर नशे से रहना सीखें, तभी भला है भाई नशा छोड़ने की तुमने क्यों, कसम न अब तक खायी? सभी तरह का नशा... Hindi · गीत 207 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 27 Sep 2023 · 1 min read कर्मफल कौन चुराता नहीं चांदनी, धूप नहीं लेता है लूट हम सब चोर लुटेरे ही हैं, रब देता है हमको छूट पाप सभी धोते गंगा में, ललचाते हैं लखकर रूप आप्तवचन... Hindi · कविता 1 152 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 17 Sep 2023 · 1 min read मेरे हाथों में प्याला है मेरे हाथों में न निवाला मेरे हाथों में प्याला है राम नाम मणि बसी हृदय में भीतर बाहर उजियाला है क्षुधा प्रशान्त हो गयी मेरी अब न चाहिए मुझको पानी... Hindi · गीत 167 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 16 Sep 2023 · 1 min read आदमीयत चाहिए आदमी में आदमीयत चाहिए आदमी में नेक आदत चाहिए ज़िन्दगी कट जाय केवल इसलिए आदमी के पास दौलत चाहिए हो कभी अम्बार दौलत का नहीं आदमी का भाव आरत चाहिए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 124 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 15 Sep 2023 · 1 min read मायावी संसार हार सुनिश्चित है, दुनिया में जीत नहीं होती। मायावी संसार, वास्तविक प्रीत नहीं होती।। धोखे ही धोखे, हैं इसमें बहुत समस्याएं। यदि आगे बढ़ना चाहें तो अगणित बाधाएं।। सहज सफलता... Hindi · गीत 279 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 5 Sep 2023 · 1 min read हम सम्मान करें गुरुओं का आओ ममतारहित बनें हम, मुक्ति मान से पाएं। हम सम्मान करें गुरुओं का, उनको माथ नवाएं।। लगन सफलता की आत्मा है, यह हम कभी न भूलें। संकल्पी बन यत्न करें... Hindi · गीत 62 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 Sep 2023 · 1 min read आओ हम सपने देखें आओ हम सपने देखें, इसमें कुछ खर्च न आता। बड़े से बड़ा सपना भी, बिन मोल दिए मिल जाता।। सपने चरितार्थ करें हम, अपनी कोशिश के बूते। हम चलते रहें... Hindi · गीत 1 185 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 1 Sep 2023 · 1 min read होगी विजय हमारी अहंकार के हाथी की हम, कभी न करें सवारी। विनम्रता के ब्रह्म-अस्त्र से, होगी विजय हमारी।। उदारता की राह पर चलें, बोलें मीठी वाणी। प्रणति निवेदन करें बड़ों को, वर... Hindi · गीत 1 115 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 31 Aug 2023 · 1 min read जीवन उत्सव मृत्यु महोत्सव जीवन उत्सव, मृत्यु महोत्सव, आओ नित्य मनाएं हम। काम-क्रोध-भय के भूतों को, उर से दूर भगाएं हम।। विस्मृत कर वाणी की कटुता, द्वार चेतना के खोलें। किसी एक के नहीं,... Hindi · गीत 240 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 8 Aug 2023 · 1 min read वातायन से साथ वात के वातायन से साथ वात के कोई आया। कमरे के अंदर आकर जादू बगराया।। कमरे को मह-मह महकाया उसने आकर। विहग-वृंद को भी चहकाया गुन-गुन गाकर।। पलक झपकते कक्ष बना फूलों... Hindi · गीत 329 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 Aug 2023 · 1 min read सच्चाई प्रियतम! तुम आधा बटेर हो मैं हूँ आधा तीतर मुझमें यदि उग्रता अपरिमित क्षमा तुम्हारे भीतर रूठ गए तुम भले मगर है क्षमा अभी भी उर में और उग्रता भरी... Hindi · कविता 298 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 21 Jul 2023 · 1 min read उषा का जन्म जब हुआ उषा का जन्म, मृदुल- शीतल-सुरभित समीर डोली मुर्गे की बांग सुनाई दी, सुन पड़ी धतूरे की बोली विहगों ने त्याग बसेरा निज कलरव से जग को जगा दिया... Hindi · कविता 230 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 19 Jul 2023 · 1 min read नींद न उनको आती जिन्हें सताती हैं चिन्ताएं, नींद न उनको आती और प्रेम में पड़ने पर भी, नींद हिरन हो जाती नींद नहीं आती चोरों को, निशि में जाग्रत रहते कवि भी प्रायः... Hindi · Poem 202 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 17 Jul 2023 · 1 min read रेल प्रगति की चली जा रही रेल प्रगति की, जो चलती कम, रुकती ज्यादा सकुशल मंजिल तक पहुंचाने, का सबसे करती है वादा हर स्टेशन पर सवारियों का, मेला देता है दिखलाई कोई... Hindi · गीत 121 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 9 Jul 2023 · 1 min read प्रेम प्रेम सदा कामनारहित है यह निर्मल उर का विलास है यह अनुक्षण बढ़ता जाता है दुनिया को देता प्रकाश है यह न कभी टूटता बीच में यह प्रतिपल अखण्ड रहता... Hindi · कविता 109 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 8 Jul 2023 · 1 min read मेघों के साथ साथ मन भी मेघों के साथ साथ मन भी उड़ने से बाज नहीं आता उड़ उड़ जन जन को जगा रहा हर दिल की सांकल खटकाता + दामिनि दिपदिप दिपदिप करती रास्ता दिखाती... Hindi · कविता 104 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 7 Jul 2023 · 1 min read आओ उठें स्वयं से ऊपर आओ उठें स्वयं से ऊपर लें न कभी निर्बल से टक्कर मस्ती में जीवन जीने को पिएं काव्य की हाला छककर खेलें विघ्नों बाधाओं से झेलें चुनौतियों को डटकर शिखर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 84 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 6 Jul 2023 · 1 min read तुझमें मुझमें रहा न अन्तर जैसे छिपी रात में प्रात शान्ति छिपाए झंझावात कड़ी धूप में छिपकर बैठी रहती है भीषण बरसात वैसे ही तू मुझमें आया मैं भी तुझमें सदा समाया तुझमें—मुझमें भेद न... Hindi · कविता 86 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 5 Jul 2023 · 1 min read अविनश्वर हो यह अभिलाषा अविनश्वर हो यह अभिलाषा — मिटे न प्यास, रहूँ चिर प्यासा अपलक तेरी ओर निहारूँ तुझ पर अपना जीवन वारूँ हारूँ अगणित बार भले,पर अपनी हार नहीं स्वीकारूँ घेरे मुझे... Hindi · गीत 104 Share Previous Page 2 Next