Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jul 2023 · 1 min read

रेल प्रगति की

चली जा रही रेल प्रगति की, जो चलती कम, रुकती ज्यादा
सकुशल मंजिल तक पहुंचाने, का सबसे करती है वादा

हर स्टेशन पर सवारियों का, मेला देता है दिखलाई
कोई नहीं उतरता दिखता, मंजिल नहीं किसी ने पायी
हर स्टेशन की भीड़ रेल में, आसानी से खप जाती है
मिल जाती है जगह सभी को, भीड़ न रंच कष्ट पाती है
मंजिल क्यों न अभी तक आई, करता कोई नहीं तगादा
चली जा रही रेल प्रगति की, जो चलती कम, रुकती ज्यादा

सबको बंगला कार चाहिए, अत्याकर्षक जीवनसाथी
नहीं चाहिए ऊंट किसी को , नहीं चाहिए घोड़ा हाथी
रथ का युग रह नहीं गया अब, सभी चाहते उड़नखटोला
मदिरापान पसंद सभी को, त्याग चुके विजया का गोला
उच्च विचार न रहे किसी के, कौन जिए अब जीवन सादा
चली जा रही रेल प्रगति की, जो चलती कम, रुकती ज्यादा

पिज्जा बर्गर के आदी सब, नहीं किसी को रुचे चबैना
कुत्ते हैं स्टेटस सिंबल अब, कम दिखते अब तोता मैना
सिरहाने शोभा पाते वे, जो पैताने के नाकाबिल
नर मादा में अन्तर करना, आम आदमी को है मुश्किल
सन्त सन्तई दिखलाते अब, आडम्बर का ओढ़ लबादा
चली जा रही रेल प्रगति की, जो चलती कम, रुकती ज्यादा

महेश चन्द्र त्रिपाठी

Language: Hindi
Tag: गीत
107 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महेश चन्द्र त्रिपाठी
View all
You may also like:
मेरे हौसलों को देखेंगे तो गैरत ही करेंगे लोग
मेरे हौसलों को देखेंगे तो गैरत ही करेंगे लोग
कवि दीपक बवेजा
समय के खेल में
समय के खेल में
Dr. Mulla Adam Ali
सफ़ेदे का पत्ता
सफ़ेदे का पत्ता
नन्दलाल सुथार "राही"
संजय सनातन की कविता संग्रह गुल्लक
संजय सनातन की कविता संग्रह गुल्लक
Paras Nath Jha
"जीना"
Dr. Kishan tandon kranti
सुना था,
सुना था,
हिमांशु Kulshrestha
प्यार के पंछी
प्यार के पंछी
Neeraj Agarwal
2815. *पूर्णिका*
2815. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्यार
प्यार
Anil chobisa
"अहङ्कारी स एव भवति यः सङ्घर्षं विना हि सर्वं लभते।
Mukul Koushik
तो क्या हुआ
तो क्या हुआ
Sûrëkhâ
*मां*
*मां*
Dr. Priya Gupta
लगाव का चिराग बुझता नहीं
लगाव का चिराग बुझता नहीं
Seema gupta,Alwar
हिंदी दिवस
हिंदी दिवस
Shashi Dhar Kumar
तीज मनाएँ रुक्मिणी...
तीज मनाएँ रुक्मिणी...
डॉ.सीमा अग्रवाल
नवीन और अनुभवी, एकजुट होकर,MPPSC की राह, मिलकर पार करते हैं।
नवीन और अनुभवी, एकजुट होकर,MPPSC की राह, मिलकर पार करते हैं।
पूर्वार्थ
दिवस नहीं मनाये जाते हैं...!!!
दिवस नहीं मनाये जाते हैं...!!!
Kanchan Khanna
एहसास
एहसास
भरत कुमार सोलंकी
स्त्री-देह का उत्सव / MUSAFIR BAITHA
स्त्री-देह का उत्सव / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
क्या ईसा भारत आये थे?
क्या ईसा भारत आये थे?
कवि रमेशराज
एक ही तो, निशा बचा है,
एक ही तो, निशा बचा है,
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
भाव - श्रृँखला
भाव - श्रृँखला
Shyam Sundar Subramanian
वोटों की फसल
वोटों की फसल
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कोहरा और कोहरा
कोहरा और कोहरा
Ghanshyam Poddar
कश्मकश
कश्मकश
swati katiyar
*गुरु जी की मक्खनबाजी (हास्य व्यंग्य)*
*गुरु जी की मक्खनबाजी (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
धिक्कार उन मूर्खों को,
धिक्कार उन मूर्खों को,
*प्रणय प्रभात*
चाय के दो प्याले ,
चाय के दो प्याले ,
Shweta Soni
रूप यौवन
रूप यौवन
surenderpal vaidya
🌹 मैं सो नहीं पाया🌹
🌹 मैं सो नहीं पाया🌹
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
Loading...