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31 Aug 2023 · 1 min read

जीवन उत्सव मृत्यु महोत्सव

जीवन उत्सव, मृत्यु महोत्सव, आओ नित्य मनाएं हम।
काम-क्रोध-भय के भूतों को, उर से दूर भगाएं हम।।

विस्मृत कर वाणी की कटुता, द्वार चेतना के खोलें।
किसी एक के नहीं, सभी के, हम अन्तर्मन से हो लें।।
बनें पंक में पंकज जैसे, सबका हृदय लुभाएं हम।
काम-क्रोध-भय के भूतों को, उर से दूर भगाएं हम।।

बाधा को बाधा मत मानें, बदलें अपना लक्ष्य नहीं।
हिय में सोया शौर्य जगाएं, अड़चन कोई नहीं कहीं।।
करते जाएं यत्न अनवरत, श्रम से जी न चुराएं हम।
काम-क्रोध-भय के भूतों को, उर से दूर भगाएं हम।।

सजग सचेत सतेज रहें हम, अपनी भूल न दुहराएं।
परमात्मा की परम कृपा से, पथ पर पुष्प बिछे पाएं।।
कभी अनागत या अतीत पर, आंसू नहीं बहाएं हम।
काम-क्रोध-भय के भूतों को, उर से दूर भगाएं हम।।

लोभ-मोह-ममता से बचकर, अपनी क्षमता पहचानें।
अनासक्त रह कर्म करें हम, लक्ष्य-प्राप्ति मन में ठानें।।
सदा मस्त, आनन्दित रहकर, अपना समय बिताएं हम।
काम-क्रोध-भय के भूतों को, उर से दूर भगाएं हम।।

कोई दोस्त न कोई दुश्मन, आओ हम अरिहन्त बनें।
शीत याकि आतप न बनें हम, हम ऋतुराज बसन्त बनें।।
मकड़जाल से बाहर निकलें, सबको गले लगाएं हम।
काम-क्रोध-भय के भूतों को, उर से दूर भगाएं हम।।

महेश चन्द्र त्रिपाठी

Language: Hindi
Tag: गीत
204 Views
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