Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Feb 2024 · 1 min read

12, कैसे कैसे इन्सान

अपने जीवन में…
ना जाने कितने किरदार निभाता है इंसान,
कभी- कभी…
इन्सान होकर भी, इन्सानियत नहीं निभाता है इन्सान।
दौलत कमाकर भी, सुखी नहीं रहता,
ना जाने कैसे…
सुकून की तलाश में रहता है इन्सान।
जिससे नफरत करता,उसे पलभर में छोड़ देता,
मौहब्बत में सरहदें भी पार कर जाता है इन्सान।
एक- दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ में,
रिश्तों को भी ताक पर रख देता है इन्सान।
मुनाफे के संबंध निभाते- निभाते,
रिश्तों का ही सौदागर बन जाता है इन्सान।
बचपन, यौवन और वृद्धावस्था का सफ़र तय करते करते,
इंसानियत ही भूलता जाता है इन्सान।
उचित-अनुचित की झूठी पहचान करके ‘मधु’,
खुद को ही खुदा समझने लगता है इन्सान।

51 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अब खयाल कहाँ के खयाल किसका है
अब खयाल कहाँ के खयाल किसका है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
!! वीणा के तार !!
!! वीणा के तार !!
Chunnu Lal Gupta
सूरज दादा ड्यूटी पर (हास्य कविता)
सूरज दादा ड्यूटी पर (हास्य कविता)
डॉ. शिव लहरी
प्याली से चाय हो की ,
प्याली से चाय हो की ,
sushil sarna
जब  सारे  दरवाजे  बंद  हो  जाते  है....
जब सारे दरवाजे बंद हो जाते है....
shabina. Naaz
*दशरथनंदन सीतापति को, सौ-सौ बार प्रणाम है (मुक्तक)*
*दशरथनंदन सीतापति को, सौ-सौ बार प्रणाम है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मानवता और जातिगत भेद
मानवता और जातिगत भेद
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
■ आज की ग़ज़ल
■ आज की ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
इंसानियत
इंसानियत
साहित्य गौरव
💐प्रेम कौतुक-483💐
💐प्रेम कौतुक-483💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बहता पानी
बहता पानी
साहिल
बुश का बुर्का
बुश का बुर्का
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
पुरखों का घर - दीपक नीलपदम्
पुरखों का घर - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
साक्षात्कार एक स्वास्थ्य मंत्री से [ व्यंग्य ]
साक्षात्कार एक स्वास्थ्य मंत्री से [ व्यंग्य ]
कवि रमेशराज
पापा की परी
पापा की परी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हो गये अब हम तुम्हारे जैसे ही
हो गये अब हम तुम्हारे जैसे ही
gurudeenverma198
गुरु
गुरु
Rashmi Sanjay
वो लुका-छिपी वो दहकता प्यार—
वो लुका-छिपी वो दहकता प्यार—
Shreedhar
हम वो हिंदुस्तानी है,
हम वो हिंदुस्तानी है,
भवेश
दुखता बहुत है, जब कोई छोड़ के जाता है
दुखता बहुत है, जब कोई छोड़ के जाता है
Kumar lalit
2511.पूर्णिका
2511.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
कोशिस करो कि दोगले लोगों से
कोशिस करो कि दोगले लोगों से
Shankar N aanjna
नारी
नारी
Dr Archana Gupta
ज़ब तक धर्मों मे पाप धोने की व्यवस्था है
ज़ब तक धर्मों मे पाप धोने की व्यवस्था है
शेखर सिंह
उसकी बाहो में ये हसीन रात आखिरी होगी
उसकी बाहो में ये हसीन रात आखिरी होगी
Ravi singh bharati
फ़र्क़ नहीं है मूर्ख हो,
फ़र्क़ नहीं है मूर्ख हो,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
ए जिंदगी….
ए जिंदगी….
Dr Manju Saini
अलाव
अलाव
गुप्तरत्न
"मुश्किल वक़्त और दोस्त"
Lohit Tamta
Loading...