Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Sep 2023 · 1 min read

कर्मफल

कौन चुराता नहीं चांदनी, धूप नहीं लेता है लूट
हम सब चोर लुटेरे ही हैं, रब देता है हमको छूट
पाप सभी धोते गंगा में, ललचाते हैं लखकर रूप
आप्तवचन का ढोल पीटते, बनकर विधर्मियों के भूप

गढ़ते हैं नित नई ऋचाएं, सब अपनी सुविधा अनुसार
मौका नहीं चूकते कोई, अगर मिले, करते व्यभिचार
त्यों-त्यों जुर्म ज्यादती बढ़ती, ज्यों-ज्यों बढ़ती जाती आय
और सजा से बचने के सब, अपनाते नित नए उपाय

फल कर्मानुसार हम सबको, करता है जब ईश प्रदान
तब शरणागत होते देखे, हमने बड़े-बड़े मतिमान
जुर्म किया तो नहीं बचोगे, लाठी उसकी बेआवाज
चाहे जितना पूजा कर लो, चाहे जितना पढ़ो नमाज

महेश चन्द्र त्रिपाठी

Language: Hindi
1 Like · 133 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महेश चन्द्र त्रिपाठी
View all
You may also like:
पास ही हूं मैं तुम्हारे कीजिए अनुभव।
पास ही हूं मैं तुम्हारे कीजिए अनुभव।
surenderpal vaidya
जपू नित राधा - राधा नाम
जपू नित राधा - राधा नाम
Basant Bhagawan Roy
जिज्ञासा
जिज्ञासा
Dr. Harvinder Singh Bakshi
किसी को उदास देखकर
किसी को उदास देखकर
Shekhar Chandra Mitra
कई वर्षों से ठीक से होली अब तक खेला नहीं हूं मैं /लवकुश यादव
कई वर्षों से ठीक से होली अब तक खेला नहीं हूं मैं /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
उदात्त जीवन / MUSAFIR BAITHA
उदात्त जीवन / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
*इश्क़ न हो किसी को*
*इश्क़ न हो किसी को*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
हर ख्याल से तुम खुबसूरत हो
हर ख्याल से तुम खुबसूरत हो
Swami Ganganiya
सत्य = सत ( सच) यह
सत्य = सत ( सच) यह
डॉ० रोहित कौशिक
ज़िंदगी का सफ़र
ज़िंदगी का सफ़र
Dr fauzia Naseem shad
शून्य से अनन्त
शून्य से अनन्त
The_dk_poetry
नारी का क्रोध
नारी का क्रोध
लक्ष्मी सिंह
"कामना"
Dr. Kishan tandon kranti
कई बार हमें वही लोग पसंद आते है,
कई बार हमें वही लोग पसंद आते है,
Ravi Betulwala
शांति वन से बापू बोले, होकर आहत हे राम रे
शांति वन से बापू बोले, होकर आहत हे राम रे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जो धधक रहे हैं ,दिन - रात मेहनत की आग में
जो धधक रहे हैं ,दिन - रात मेहनत की आग में
Keshav kishor Kumar
जो परिवार और रिश्ते आपने मुद्दे आपस में संवाद करके समझ बूझ
जो परिवार और रिश्ते आपने मुद्दे आपस में संवाद करके समझ बूझ
पूर्वार्थ
जिंदगी का यह दौर भी निराला है
जिंदगी का यह दौर भी निराला है
Ansh
शिक्षकों को प्रणाम*
शिक्षकों को प्रणाम*
Madhu Shah
सत्ता की हवस वाले राजनीतिक दलों को हराकर मुद्दों पर समाज को जिताना होगा
सत्ता की हवस वाले राजनीतिक दलों को हराकर मुद्दों पर समाज को जिताना होगा
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
ऐसे ही थोड़ी किसी का नाम हुआ होगा।
ऐसे ही थोड़ी किसी का नाम हुआ होगा।
Praveen Bhardwaj
I want to tell them, they exist!!
I want to tell them, they exist!!
Rachana
🙅लघुकथा/दम्भ🙅
🙅लघुकथा/दम्भ🙅
*प्रणय प्रभात*
गीत प्यार के ही गाता रहूं ।
गीत प्यार के ही गाता रहूं ।
Rajesh vyas
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
तुम जिसे खुद से दूर करने की कोशिश करोगे उसे सृष्टि तुमसे मिल
तुम जिसे खुद से दूर करने की कोशिश करोगे उसे सृष्टि तुमसे मिल
Rashmi Ranjan
राम समर्पित रहे अवध में,
राम समर्पित रहे अवध में,
Sanjay ' शून्य'
के श्रेष्ठ छथि ,के समतुल्य छथि आ के आहाँ सँ कनिष्ठ छथि अनुमा
के श्रेष्ठ छथि ,के समतुल्य छथि आ के आहाँ सँ कनिष्ठ छथि अनुमा
DrLakshman Jha Parimal
मतलब भरी दुनियां में जरा संभल कर रहिए,
मतलब भरी दुनियां में जरा संभल कर रहिए,
शेखर सिंह
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
Santosh kumar Miri
Loading...