Priya Maithil 76 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Priya Maithil 15 Nov 2024 · 1 min read दिवाली है दियो की रात और मैं आग सी जलती रहूं रुई ज्यों तिल में , दुखों के तेल में गलती रहूं क्या निशा है की जड़े हैं सब किवाड़ों पर... Hindi · कविता 1 21 Share Priya Maithil 31 Oct 2024 · 4 min read ऐसी दिवाली कभी न देखी ऐसी दीवाली न कभी देखी, ना कभी कल्पना ही की । कभी लगता है कोई भयानक सपना तो नहीं चल रहा, अभी नींद टूटेगी और हम चैन की सांस लेंगे।... Hindi · लेख 1 75 Share Priya Maithil 26 Oct 2024 · 2 min read मृत्यु मृत्यु के बाद का जीवन , जीवन की मृत्यु से भी अधिक कष्टकारक होता है।मेरे ही सारे दुख अंततः इस बड़े दुख से हार गए। नीरसता, सूनापन और पीड़ा क्या... Hindi · लेख 1 50 Share Priya Maithil 10 Sep 2024 · 1 min read भावनाओं से सींच कर भावनाओं से सींच कर मन आंगन में रोपे थे पौधे हरियाये भी,फूले फले खिले मैं उनसे हिली, वो मुझसे मिले पर अब अचानक उन पौधों कि शाखे टूट रही है... 2 49 Share Priya Maithil 11 May 2024 · 1 min read ग्यारह मई मेरा जन्म दुनिया की अति साधारण घटना। नही हुई कोई आकाशवाणी मेरे होने पर नही बरसे पुष्प नही हर्षे देव किसी क्रांति की आशा प्रत्याशा ईश्वर को मुझसे रही नही... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 4 2 80 Share Priya Maithil 5 May 2024 · 1 min read नीचे की दुनिया ऊपर से नीचे आते हुए भूल जाती है कविता चाहे जितनी ऊंचाई से शुरू हो नीचे आकर ही उतर पाएगी हृदय में, बचा सकेगी अर्थ अपने होने का ऊपर से... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 3 2 74 Share Priya Maithil 3 May 2024 · 1 min read मैं क्या हूं तिमिर कण हूं या बसंती भोर हूं.. हूं समय , या समय का छोर हूं.. प्रार्थना हूं या प्रलय घनघोर हूं.. हूं अनिश्चित या तुम्हारी और हूं .. कोई अगोचर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 80 Share Priya Maithil 3 May 2024 · 1 min read बताओ प्रेम करोगे या …? चारों तरफ़ इश्क़ का कोलाहल है.. इश्क क्या,बड़ा सीमित,संकुचित, मौसमी बुखार सा उतरता चढ़ता रक्त में बहते हार्मोनों का असर.. वही जो पहली नजर में हो जाता है अकसर आंखो... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 74 Share Priya Maithil 3 May 2024 · 1 min read तुम जाते हो.. देखो,यह अवनि की छाती आज धड़कती कम सी है। देखो, यह रूई की बाती आज तड़कती कम सी है। देखो,यह अंशुमाली में आज नही है तीखा ताप। देखो, चंदा की... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 68 Share Priya Maithil 3 May 2024 · 1 min read रास्ते का फूल न बन पाई तो.. रास्ते का फूल ना बन पाई तो .. रास्ते का खार बन कर क्या करूं.. जो ह्वदय का हार ना बन पाई तो.. फिर ह्वदय का भार बन कर क्या... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 107 Share Priya Maithil 3 May 2024 · 1 min read लाज़िम है लाज़िम है ये भी की लब चल रहे हो बरबस पर बात कही भी न पहुंच पाती हो.. कान सुन नही रहे हो, पर अभिनय करता चौखटा हो.. पटा हो... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 70 Share Priya Maithil 29 Apr 2024 · 1 min read पीड़ाएं सही जाती हैं.. पीड़ाएं सही जाती हैं.. पीड़ा की कहानियां कही जाती हैं जिनके मुख से , परे होते हैं उसके दुख से.. भूख की पीड़ा ,भूख की नहीं, जीवन की है.. इसे... Hindi · कविता 2 157 Share Priya Maithil 14 Apr 2024 · 1 min read बताओ प्रेम करोगे या ...? चारों तरफ़ इश्क़ का कोलाहल है.. इश्क क्या,बड़ा सीमित,संकुचित, मौसमी बुखार सा उतरता चढ़ता रक्त में बहते हार्मोनों का असर.. वही जो पहली नजर में हो जाता है अकसर आंखो... Hindi · कविता 6 5 143 Share Priya Maithil 13 Apr 2024 · 2 min read तुम्हारी याद..! जब तुम्हारी याद आती है मैं ढूंढती हूं तुम्हारा कोई निशान जो तुम्हारी मौजूदगी का अहसास कराए और महसूस करती हूं तुम्हारा होना यूं तो याद आना तुम्हारा, रोजगार है... Hindi · कविता 4 149 Share Priya Maithil 29 Mar 2024 · 1 min read तुम जाते हो। देखो,यह अवनि की छाती आज धड़कती कम सी है। देखो, यह रूई की बाती आज तड़कती कम सी है। देखो,यह अंशुमाली में आज नही है तीखा ताप। देखो, चंदा की... Hindi · Poem 3 3 136 Share Priya Maithil 23 Mar 2024 · 1 min read रास्ते का फूल ना बन पाई तो.. रास्ते का फूल ना बन पाई तो .. रास्ते का खार बन कर क्या करूं.. जो ह्वदय का हार ना बन पाई तो.. फिर ह्वदय का भार बन कर क्या... Hindi · Poem 4 2 172 Share Priya Maithil 22 Mar 2024 · 1 min read मैं क्या हूं? तिमिर कण हूं या बसंती भोर हूं.. हूं समय , या समय का छोर हूं.. प्रार्थना हूं या प्रलय घनघोर हूं.. हूं अनिश्चित या तुम्हारी और हूं .. कोई अगोचर... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता 4 189 Share Priya Maithil 5 Mar 2024 · 1 min read करते हैं जो हृदय- निमंत्रण झूठे हैं... करते हैं जो हृदय- निमंत्रण झूठे हैं... प्रेम-प्रणय के सब आमंत्रण झूठे हैं.. मन जुड़ते हैं , अपने निजी प्रयोजन से.. त्याग- समर्पण के चलचित्रण झूठे हैं... . Hindi · कविता 1 126 Share Priya Maithil 1 Mar 2024 · 1 min read मैंने कभी न मानी हार (1) *लाखो बार बुझा है दीपक* *लाखो बार मिटा है तेल* *लाखो बार कश्तियां डूबी* *लाखों बार हुई है देर* *पर सिंधु से आंख लड़ाकर* *करी हमेशा नैया पार* *मैने कभी... Hindi · कविता 3 132 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read चुनना केवल तुमको है"" चुनना केवल तुमको है"" है टूट रहे नित- नियम अनेकों, उनका तुम यलगार करो.. क्षण- क्षण को बटोरो जीवन में, या खुल कर तुम बर्बाद करो.. यह तिक्त- मधुर गाथा... Poetry Writing Challenge-2 1 2 120 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read जब हृदय में ..छटपटा- जाती.. कोई पीड़ा पुरानी... जब हृदय में ..छटपटा- जाती.. कोई पीड़ा पुरानी... जब रसा को मूक कर दे ..आत्मघाती कोई कहानी.. जब नयन में नीर ,,बनके तीर से गड़ने लगे, हो व्यथित जब कह... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 88 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read सारी उपमा सारी उपमा पस्त हो गई तुमको किस उपमा से जोडूं प्रिय मुझे तुम खुद से ज्यादा कभी तुम्हारा साथ न छोडूं तुम दीपक से अंधकार में हो औषध मन के... Poetry Writing Challenge-2 1 83 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read मंजिल खुद अश्रु - सिक्त हुई .. मंजिल खुद अश्रु - सिक्त हुई .. उर शीतलता भी तिक्त हुई .. फिर क्यों मैं मधुसम गान सुनूं क्यों राह कोई आसान चुनूं?? पूजा था जिसको बन साधक.. बन... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 139 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read घने तिमिर में डूबी थी जब.. घने तिमिर में डूबी थी जब.. किसने दीपक दिखलाया.. बैठी थी जब हो बेबस .. तब कहो कौन आगे आया.. अब जब राहों में खुद तारे .. तुम राह दिखाने... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 88 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read कटा के ये पर आसमां ढूंढ़ती है... कटा के ये पर आसमां ढूंढ़ती है... इक नन्ही सी चिड़िया जहां ढूंढती है.. घटाओ के झोंको की भूखी थी वो.. अब पिंजरों में बाकी हवा ढूंढ़ती है... हर ज़र्रे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 96 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read दीवारें....., सिर्फ घरों में नहीं होती दीवारें....., सिर्फ घरों में नहीं होती दीवारें हर जगह है.... संकोच की लोभ की शंका की भ्रम की सोच की सोच के छोटेपन की दीवारें हर जगह हैं... पर हर... Poetry Writing Challenge-2 1 81 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read "नन्हे" ने इक पौधा लाया, "नन्हे" ने इक पौधा लाया, आंगन में था उसे लगाया। यह मेरे स्वप्नों की सीढ़ी, संग - संग मेरे रोज चढ़ेगा। हां, ये पौधा यहीं लगेगा!! पौधा बढ़ा,फूल थे फूले,... Poetry Writing Challenge-2 · Poem 1 87 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read जीवन की राहें पथरीली.. जीवन की राहें पथरीली.. हर पल इक नया झमेला है! तू इकलौता बर्बाद नहीं.. यहां हर एक शख्स अकेला है! ये चंद मिनट की मायूसी.. पर सबक बड़ा अलबेला है!... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 104 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read हां ख़ामोश तो हूं लेकिन......... हां ख़ामोश तो हूं लेकिन......... दिल में राज छिपाकर नहीं जीती मुस्कुराती हूं सबके सामने बेझिझक क्यूंकि में अपनी हंसी दबाकर नहीं जीती जो ना कह सके अपना मुझे............ उसको... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 154 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read पग - पग पर बिखरा लावा है पग - पग पर बिखरा लावा है यह जग बस एक छलावा है... जो बैठे है बन अति उदार वह उनका महज दिखावा है. प्रेम - प्रेम कह इठलाते जो,... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 144 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read मोही हृदय अस्थिर, व्यथित मोही हृदय अस्थिर, व्यथित था, अधर मुस्काते रहे अठखेलियां करते नयन , नित स्वप्न छलकाते रहे गाते रहे मिसरी से मीठे, गीत, चित हरते रहे पीले मुखो पर सांझ के,... Poetry Writing Challenge-2 1 105 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read दीप जलाया है अंतस का, दीप जलाया है अंतस का, रक्त सलिल को तेल बनाकर, टूटा है तारा मेरा भी, अंबर से वसुधा पर आकर। छिटकाये पलछिन जीवन के नीर बहाकर ,सुध बिसराकर पल-पल के... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 82 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read जिस ओर उठी अंगुली जगकी जिस ओर उठी अंगुली जगकी उस ओर मुड़ी गति भी पग की जग के आंचल से बंधा हुआ, खिंचता आया तो क्या आया। जो टूट पड़े दुख आंगन में जो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 78 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read दुर्बल तुम केवल मन से हो दुर्बल तुम केवल मन से हो _____ दुख का अपने कर के विलाप, मत हालातों को गाली दो। अपने आहत रीते मन को, मत व्यर्थ दिलासा खाली दो। है घड़ी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 155 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read कहने वाले बिल्कुल सही कहा करते हैं... कहने वाले बिल्कुल सही कहा करते हैं... आगे तूफां के पर्वत नहीं ढहा करते है...! सपनों का कुनबा जमा है जबसे आंखो में, कोरो से मेरी आंसू नहीं बहा करते... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 77 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read ज़िन्दगी भी हाल अपना देख कर हैरान है ज़िन्दगी भी हाल अपना देख कर हैरान है रोज़ लाशे बिछ रहीं है ,मौज में शमशान है शर्मसा खुद हो रहीं हैं सब दिशाएं लाज से बेयकीनी की बयारें, बेअदब... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 58 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read वो जो करीब थे "क़रीब" आए कब.. वो जो करीब थे "क़रीब" आए कब.. मंजिले दूर न थी, कदम बढ़ाए कब.. खुली रखी थी मुट्ठियां एक मुद्दत से मगर.. ख्वाबों ने हाथ हमसे छुड़ाए कब.. भूल जाते... Poetry Writing Challenge-2 · ग़ज़ल 1 70 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read लोग अपनी हरकतों से भय नहीं खाते... लोग अपनी हरकतों से भय नहीं खाते... सब कुछ लुटा देते हैं दिल में शय नहीं पाते... "मुखौटो" से रखते मोह, सच्ची आत्मा से बैर... झूठी धुनों पर झूमते कोई... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 63 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read मैं कविता नहीं लिखती मैं कविता नहीं लिखती ये तो कुछ और है गहरे दरिया का छोर है अपने भीतर के दावानल को मिटाने के लिए चीखती खामोशियों का शोर है मैं कविता नहीं... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 62 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read खुद से है दूरी मीलो की... खुद से है दूरी मीलो की... पर पास सभी के जाते है... अपनी नज़रों में गिरे पड़े... सबकी नज़रों में छाते हैं... कभी झांक के खुद में देखे.. क्या हम... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 60 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read सब जाग रहे प्रतिपल क्षण क्षण सब जाग रहे प्रतिपल क्षण क्षण केवल मै ही हूं सोई सी... जाने किस भय किस शंका में.. बेसुध हारी सी खोई सी.. जीवन सुलझाने की जिद थी.. ऐसी सुलझी... Poetry Writing Challenge-2 · Poem 1 68 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read हृदय बड़ा उद्विग्न है.. हृदय बड़ा उद्विग्न है.. सना हुआ है विघ्न में.. बड़ी विकट पड़ी घड़ी.. हूं तक रही खडी खड़ी.. है आज मौन खुद "धरा".. है किस जगह मेरी #धरा ये किस... Poetry Writing Challenge-2 · Poem 1 113 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read जिस अंधकार से विचलित तुम जिस अंधकार से विचलित तुम उस अंधकार से आगे हूं... जो मोहित कर बांधे मन को उस हर बहार से आगे हूं... जो विषय तुम्हारी चर्चा के मै उनसे आगे... Poetry Writing Challenge-2 · Poem · कविता 1 104 Share Priya Maithil 8 Feb 2024 · 1 min read उन्मादी चंचल मन मेरे... उन्मादी चंचल मन मेरे... अपनी ही पीड़ा पर गाते, नयन तुम्हारे क्यों भर आते. अंधियारे उपहार मिले हैं, मुझको कुछ शापों के चलते.. सूने सब त्यौहार मिले हैं, मेरे ही... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 141 Share Priya Maithil 22 Jan 2024 · 1 min read घर नही है गांव में धूप में जले पांव मांगते हैं छांव जाना चाहते हैं गांव पर दर नही है गांव में जमी नहीं है गांव में कमी नहीं है कोई भी बस घर नही... Hindi · कविता 2 180 Share Priya Maithil 14 Jan 2024 · 1 min read अंदर तेरे शक्ति अगर गंभीर है अंदर तेरे शक्ति अगर गंभीर है, बाहरी बाधाएं सारी जीर्ण है.. जो हार है वो बस मति की कल्पना, जो जीत है वो हस्त पर उत्कीर्ण है.. भयभीत मत होना... Hindi 3 167 Share Priya Maithil 16 May 2022 · 2 min read बुद्ध या बुद्धू हम लोग क्षुब्ध होते हैं...मुग्ध होते हैं.. क्रुद्ध होते है..बस बुद्ध नहीं हो पाते.. एक बूढ़ा आदमी ..एक शव ..एक बीमार आदमी..लगभग रोज देखते हैं लेकिन हमारी बुद्धि प्रबुद्ध नही... Hindi · लेख 10 10 943 Share Priya Maithil 10 May 2022 · 1 min read मेरी आंखों का तारा नाजों से पाला था जिसको.. छूने भी नहीं दिया गम को.. हर खुशी लुटाई थी जिस पर. जीवन का एक- एक पल चुनकर.. अब वो मेरा ही राजकुंवर… दिन मुझे... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 3 1 299 Share Priya Maithil 10 Dec 2021 · 6 min read कंपीटीशन की तैयारी ( ये लेखिका के व्यक्तिगत विचार हैं,इसका किसी भी जीवित एवम मृत व्यक्ति से पूरा - पूरा संबंध है?) तैयारियां कई किस्म की होती है, कई किस्म से होती हैं,तैयारी... Hindi · लेख 5 4 447 Share Priya Maithil 3 Apr 2020 · 4 min read मेरी मां मेरी ऊर्जा का स्त्रोत, मेरी शक्ति, प्रेरणा और मेरे स्वप्नों की पर्यवेक्षिका, मेरी मां... जब भी कभी जीवन की वास्तविकताओं से सामना होने पर कुंठा एवम् त्रासदी का बोध गहराता... Hindi · लेख 2 2 346 Share Page 1 Next