Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2022 · 2 min read

बुद्ध या बुद्धू

हम लोग क्षुब्ध होते हैं…मुग्ध होते हैं.. क्रुद्ध होते है..बस बुद्ध नहीं हो पाते..
एक बूढ़ा आदमी ..एक शव ..एक बीमार आदमी..लगभग रोज देखते हैं लेकिन हमारी बुद्धि प्रबुद्ध नही होती, यह सिद्धार्थ बने रहना चाहती है….नही छोड़ना चाहती लालसा, विलासिता ,कामना , क्रोध, रोष, हिंसा, मोह..
यह समस्या हमारी अकेले की नही है, पूरी मानव प्रजाति की है।
हम जिसको सोचते है , वो हो जाते है।
जिसको खोजते हैं,वो हो जाते हैं।
जिसपर रीझते हैं, वो हो जाते हैं।
जिस पर खीजते हैं,वो भी हो जाते हैं।
बस ,
जिसको पूजते हैं,वो नही हो पाते।
या फिर जिसके बताए रास्ते पर चल नही पाते,उसका ही वास्ता देकर ,उसके बताए रास्ते पर कुंडी मार देते हैं।

जिसके बताए विचार समझ नही पाते , उन विचारों के रूप को ओढ़े हुए गीत बनाकर गाना ,कभी – कभी तो चिल्लाना भी शुरू कर देते हैं।

जिसके जीवन को प्रेरणा बनाना चाहिए ,उसके जीवन को छोड़ कर हम उसे ही बना देते हैं….कभी कभी मिट्टी का तो कभी पत्थर का..

जिसके चरित्र को हृदय में उतारना चाहिए और हम उसे ही उतार देते हैं … चित्र में , चर्च में, मंदिर में,मस्जिद में , गुरुद्वारे में।

हम लोगो में जीवन का ,विचारो का ,धर्म का ,ज्ञान का विश्लेषण करने की प्रवृत्ति समाप्त होती जा रही है और कहना ना होगा की अनुसरण करने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है।
अध्यात्म की नींव तो विचार और उनका विश्लेषण ही है।
लेकिन हम धर्म और अध्यात्म का नाता समाप्त कर , दोनो को विकृत और किसी तीसरे को तिरस्कृत कर रहे हैं, जिसे कभी – कभी नैतिकता भी कह देते हैं।
साथ ही इनके विलोम को यानी अधर्म और अनैतिकता को अपने जीवन से बहिष्कृत करने के बजाय पुरुस्कृत करने पर तुले हुए हैं।

बुद्ध मूर्तिपूजा के खिलाफ थे..
बुद्ध अनीश्वरवादी थे..
बुद्ध अहिंसा के पुजारी थे..
बुद्ध ने तृष्णा को शत्रु बताया..
हमने
बुद्ध की ही मूर्ति बना दी..
बुद्ध को ही ईश्वर बना दिया ..
तृष्णा को सखी बनाया और उसे तुष्ट करने के लिए युद्ध किए , हमने स्मारक बनाए बुद्ध के ,या फिर बनाया मखौल, उनके दिए ज्ञान का..!
बात विचार करने की है..।
राम को पूजने वाला राम के पदचिन्हों पर चलने की कोशिश करने लगे, पैगंबर की इबादत करने वाले उसके जीवन दर्शन को समझें,महावीर ,बुद्ध और नानक के अनुयायी हृदय में इनकी कोई एक बात भी उतार लें ना तो उस दिन सारी खुदाई की सच्ची पूजा होगी ।
नही तो हमारी संस्कृति का हिस्सा तो बन ही चुका है..
“जिसे बूझ ना सको।
उसे पूजना चालू कर दो।”
-©प्रिया मैथिल✍️

Language: Hindi
Tag: लेख
10 Likes · 10 Comments · 842 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Priya Maithil
View all
You may also like:
नारी क्या है
नारी क्या है
Ram Krishan Rastogi
मैं बारिश में तर था
मैं बारिश में तर था
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
Patience and determination, like a rock, is the key to their hearts' lock.
Patience and determination, like a rock, is the key to their hearts' lock.
Manisha Manjari
"फोटोग्राफी"
Dr. Kishan tandon kranti
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
यह आत्मा ही है जो अस्तित्व और ज्ञान का अनुभव करती है ना कि श
यह आत्मा ही है जो अस्तित्व और ज्ञान का अनुभव करती है ना कि श
Ms.Ankit Halke jha
कहमुकरी
कहमुकरी
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
अंदाज़े बयाँ
अंदाज़े बयाँ
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उसे गवा दिया है
उसे गवा दिया है
Awneesh kumar
पंचतत्वों (अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी, आकाश) के अलावा केवल
पंचतत्वों (अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी, आकाश) के अलावा केवल "हृद
Radhakishan R. Mundhra
माँ की यादें
माँ की यादें
मनोज कर्ण
आत्मीय मुलाकात -
आत्मीय मुलाकात -
Seema gupta,Alwar
दवा की तलाश में रहा दुआ को छोड़कर,
दवा की तलाश में रहा दुआ को छोड़कर,
Vishal babu (vishu)
आदित्य(सूरज)!
आदित्य(सूरज)!
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
तुम्हारी खूब़सूरती क़ी दिन रात तारीफ क़रता हूं मैं....
तुम्हारी खूब़सूरती क़ी दिन रात तारीफ क़रता हूं मैं....
Swara Kumari arya
आ गया मौसम सुहाना
आ गया मौसम सुहाना
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
'Memories some sweet and some sour..'
'Memories some sweet and some sour..'
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
अन्ना जी के प्रोडक्ट्स की चर्चा,अब हो रही है गली-गली
अन्ना जी के प्रोडक्ट्स की चर्चा,अब हो रही है गली-गली
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
पहाड़ में गर्मी नहीं लगती घाम बहुत लगता है।
पहाड़ में गर्मी नहीं लगती घाम बहुत लगता है।
Brijpal Singh
"बेखुदी "
Pushpraj Anant
*
*"ब्रम्हचारिणी माँ"*
Shashi kala vyas
स्वभाव
स्वभाव
अखिलेश 'अखिल'
डोसा सब को भा रहा , चटनी-साँभर खूब (कुंडलिया)
डोसा सब को भा रहा , चटनी-साँभर खूब (कुंडलिया)
Ravi Prakash
अंतिम युग कलियुग मानो, इसमें अँधकार चरम पर होगा।
अंतिम युग कलियुग मानो, इसमें अँधकार चरम पर होगा।
आर.एस. 'प्रीतम'
माटी
माटी
AMRESH KUMAR VERMA
हवा चली है ज़ोर-ज़ोर से
हवा चली है ज़ोर-ज़ोर से
Vedha Singh
जीवन को अतीत से समझना चाहिए , लेकिन भविष्य को जीना चाहिए ❤️
जीवन को अतीत से समझना चाहिए , लेकिन भविष्य को जीना चाहिए ❤️
Rohit yadav
हो भविष्य में जो होना हो, डर की डर से क्यूं ही डरूं मैं।
हो भविष्य में जो होना हो, डर की डर से क्यूं ही डरूं मैं।
Sanjay ' शून्य'
जिंदगी का सफर
जिंदगी का सफर
Gurdeep Saggu
■ कटाक्ष...
■ कटाक्ष...
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...