(6) सूने मंदिर के दीपक की लौ
हमारी चाहत तो चाँद पे जाने की थी!!
मैंने खुद को बदल के रख डाला
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
शयनकक्ष श्री हरि चले, कौन सँभाले भार ?।
जेसे दूसरों को खुशी बांटने से खुशी मिलती है
कहीं चीखें मौहब्बत की सुनाई देंगी तुमको ।
डॉ निशंक बहुआयामी व्यक्तित्व शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जिंदगी में अगर आपको सुकून चाहिए तो दुसरो की बातों को कभी दिल
करके याद तुझे बना रहा हूँ अपने मिजाज को.....
*अभिनंदनों के गीत जिनके, मंच पर सब गा रहे (हिंदी गजल/गीतिका)
♤ ⛳ मातृभाषा हिन्दी हो ⛳ ♤
राधा अब्बो से हां कर दअ...