Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Feb 2024 · 1 min read

दीप जलाया है अंतस का,

दीप जलाया है अंतस का,
रक्त सलिल को तेल बनाकर,
टूटा है तारा मेरा भी,
अंबर से वसुधा पर आकर।

छिटकाये पलछिन जीवन के
नीर बहाकर ,सुध बिसराकर
पल-पल के मोहक मनको की
माला के नग – नग बिखराकर
बंद किए सब द्वार सुखो के
क्षणभंगुर दुख से घबराकर
टूटा है तारा मेरा भी,
अंबर से वसुधा पर आकर

गिरगिटिया मतवाले मन ने,
मुझसे क्या -क्या ना करवाया
धूल चढ़ाई मस्तक पर और
फूलों को पग से कुचलाया
श्राद्ध किया अपने सपनो का
मनमाने से भ्रम में आकर.
टूटा है तारा मेरा भी,
अंबर से वसुधा पर आकर।

ओढ़ निशा की छांव घनेरी
उजियारे से आंख चुराई
बांध दिया दिनकर को तम से
अंधियारे को विजय दिलाई
छलकाई गागर पानी की
सहज कुएं के जल को पाकर
टूटा है तारा मेरा भी,
अंबर से वसुधा पर आकर।

©Priya Maithil✍

Language: Hindi
1 Like · 58 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Priya Maithil
View all
You may also like:
ज्ञान तो बहुत लिखा है किताबों में
ज्ञान तो बहुत लिखा है किताबों में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मुश्किलों पास आओ
मुश्किलों पास आओ
Dr. Meenakshi Sharma
कई वर्षों से ठीक से होली अब तक खेला नहीं हूं मैं /लवकुश यादव
कई वर्षों से ठीक से होली अब तक खेला नहीं हूं मैं /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
2725.*पूर्णिका*
2725.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
लड़को की समस्या को व्यक्त किया गया है। समाज में यह प्रचलन है
लड़को की समस्या को व्यक्त किया गया है। समाज में यह प्रचलन है
पूर्वार्थ
शायद आकर चले गए तुम
शायद आकर चले गए तुम
Ajay Kumar Vimal
ईश्वर से शिकायत क्यों...
ईश्वर से शिकायत क्यों...
Radhakishan R. Mundhra
आज, पापा की याद आई
आज, पापा की याद आई
Rajni kapoor
।। निरर्थक शिकायतें ।।
।। निरर्थक शिकायतें ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
चेहरे पर अगर मुस्कुराहट हो
चेहरे पर अगर मुस्कुराहट हो
Paras Nath Jha
तू है तो फिर क्या कमी है
तू है तो फिर क्या कमी है
Surinder blackpen
छल छल छलके आँख से,
छल छल छलके आँख से,
sushil sarna
"मोहब्बत"
Dr. Kishan tandon kranti
*अभिनंदन उनका करें, जो हैं पलटूमार (हास्य कुंडलिया)*
*अभिनंदन उनका करें, जो हैं पलटूमार (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कोई आदत नहीं
कोई आदत नहीं
Dr fauzia Naseem shad
मुस्कुराना चाहते हो
मुस्कुराना चाहते हो
surenderpal vaidya
इस मुस्कुराते चेहरे की सुर्ख रंगत पर न जा,
इस मुस्कुराते चेहरे की सुर्ख रंगत पर न जा,
डी. के. निवातिया
दर्द  जख्म कराह सब कुछ तो हैं मुझ में
दर्द जख्म कराह सब कुछ तो हैं मुझ में
Ashwini sharma
रिश्ते प्यार के
रिश्ते प्यार के
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
रिश्ते
रिश्ते
Sanjay ' शून्य'
देख कर उनको
देख कर उनको
हिमांशु Kulshrestha
ज़रूरी ना समझा
ज़रूरी ना समझा
Madhuyanka Raj
सुविचार..
सुविचार..
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
तुझे कैसे बताऊं तू कितना खाश है मेरे लिए
तुझे कैसे बताऊं तू कितना खाश है मेरे लिए
yuvraj gautam
इंसान को इंसान से दुर करनेवाला केवल दो चीज ही है पहला नाम मे
इंसान को इंसान से दुर करनेवाला केवल दो चीज ही है पहला नाम मे
Dr. Man Mohan Krishna
■ आज का विचार...
■ आज का विचार...
*Author प्रणय प्रभात*
न दोस्ती है किसी से न आशनाई है
न दोस्ती है किसी से न आशनाई है
Shivkumar Bilagrami
दोस्ती क्या है
दोस्ती क्या है
VINOD CHAUHAN
कहां जाऊं सत्य की खोज में।
कहां जाऊं सत्य की खोज में।
Taj Mohammad
"काफ़ी अकेला हूं" से "अकेले ही काफ़ी हूं" तक का सफ़र
ओसमणी साहू 'ओश'
Loading...