हिंदीग़ज़ल की गटर-गंगा *रमेशराज
मैं खुश हूँ! गौरवान्वित हूँ कि मुझे सच्चाई,अच्छाई और प्रकृति
देखिए इतिहास की किताबो मे हमने SALT TAX के बारे मे पढ़ा है,
त्याग समर्पण न रहे, टूट ते परिवार।
पति पत्नी में परस्पर हो प्यार और सम्मान,
'आप ' से ज़ब तुम, तड़ाक, तूँ है
कभी कभी किसी व्यक्ति(( इंसान))से इतना लगाव हो जाता है
आज फ़िर दिल ने इक तमन्ना की..
"चाहत " ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
शिवाजी गुरु समर्थ रामदास – बाल्यकाल और नया पड़ाव – 02
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
कितने कोमे जिंदगी ! ले अब पूर्ण विराम।
*आ गया मौसम वसंती, फागुनी मधुमास है (गीत)*
याद रे
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
जाने कब दुनियां के वासी चैन से रह पाएंगे।