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22 Apr 2023 · 1 min read

न दोस्ती है किसी से न आशनाई है

खिले न फूल चमन में न गन्ध छाई है
खिज़ां के बाद ये कैसी बहार आई है

बने जो बात तो अपनी है मिलकियत दुनिया
बने न बात तो अपनी नहीं पराई है

मेरा मज़ाक़े सुखन मुझको दे रहा है मज़ा
ग़मों के दौर हैं , अश्कों की रोशनाई है

भटक रहा हूं मैं दुनिया के क़ैदख़ाने में
न दोस्ती है किसी से न आशनाई है

गिला नहीं है मुझे आंधियों से कोई
मेरी नज़र में हवाओं की बेवफ़ाई है

–शिवकुमार बिलगरामी

Language: Hindi
1 Like · 351 Views
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