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10 May 2022 · 1 min read

मेरी आंखों का तारा

नाजों से पाला था जिसको..
छूने भी नहीं दिया गम को..
हर खुशी लुटाई थी जिस पर.
जीवन का एक- एक पल चुनकर..
अब वो मेरा ही राजकुंवर…
दिन मुझे गिनाकर जाता है।।
मेरी आंखो का तारा ,मुझको आंख
दिखाकर जाता है!!

सामानों की उठा -पटक..
और बात बात पर झल्लाना..
बोझ नहीं हूं बाप हूं मै..
कोई उसको ये समझाना..
हर ख्वाब संजोया था जिनमें..
सपनों को उसके बुन बुन के..
ख्वाबों से भारी पलकों को
वो आज भिगोकर जाता है..
मेरी आंखो का तारा ,मुझको आंख
दिखाकर जाता है!!

अंगुलिया थामी थी जिसकी
“मखमली – सी”हाथ में जब
सोया नहीं था उसकी जरा सी
खांसी पर पूरी रात में जब..
अपने गमों को भूलकर ..
जिसको हंसना सिखलाया था
पोंछे भी नहीं आंसू मेरे
और मुझे रुलाकर जाता है
मेरी आंखो का तारा, मुझको
आंख दिखाकर जाता है..

उसके हर गीत को मैने अपना
गीत समझकर गाया था..
उसकी हर जीत को मैंने अपनी
जीत समझकर चाहा था..
कंधे पर बिठाया था जिसको..
अब वह मेरा राजदुलारा बड़ा हो.गया
सिर पर मेरे चढ़ जाता है..
जिसको जीना सिखलाया था..
वो मुझे सिखाकर जाता है..

मेरी आंखों का तारा,मुझको आंख दिखाकर
जाता है..

Written by
Priya maithil

3 Likes · 1 Comment · 255 Views
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