Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Feb 2024 · 1 min read

पग – पग पर बिखरा लावा है

पग – पग पर बिखरा लावा है
यह जग बस एक छलावा है…
जो बैठे है बन अति उदार
वह उनका महज दिखावा है.
प्रेम – प्रेम कह इठलाते जो,
घोर सदय फिर बन जाते जो..
वक़्त बदलने पर उनको भी
हाथ छुड़ा चलते देखा है…
मैंने जीवन से सीखा है…!!”
© Priya Maithil

Language: Hindi
1 Like · 66 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Priya Maithil
View all
You may also like:
भाषाओं का ज्ञान भले ही न हो,
भाषाओं का ज्ञान भले ही न हो,
Vishal babu (vishu)
इक पखवारा फिर बीतेगा
इक पखवारा फिर बीतेगा
Shweta Soni
बकरी
बकरी
ganjal juganoo
***
*** " चौराहे पर...!!! "
VEDANTA PATEL
कहमुकरी (मुकरिया) छंद विधान (सउदाहरण)
कहमुकरी (मुकरिया) छंद विधान (सउदाहरण)
Subhash Singhai
नहीं हूँ अब मैं
नहीं हूँ अब मैं
gurudeenverma198
इक परी हो तुम बड़ी प्यारी हो
इक परी हो तुम बड़ी प्यारी हो
Piyush Prashant
कुछ नमी अपने साथ लाता है
कुछ नमी अपने साथ लाता है
Dr fauzia Naseem shad
** चिट्ठी आज न लिखता कोई **
** चिट्ठी आज न लिखता कोई **
surenderpal vaidya
कुछ रिश्तो में हम केवल ..जरूरत होते हैं जरूरी नहीं..! अपनी अ
कुछ रिश्तो में हम केवल ..जरूरत होते हैं जरूरी नहीं..! अपनी अ
पूर्वार्थ
हम वर्षों तक निःशब्द ,संवेदनरहित और अकर्मण्यता के चादर को ओढ़
हम वर्षों तक निःशब्द ,संवेदनरहित और अकर्मण्यता के चादर को ओढ़
DrLakshman Jha Parimal
*सीता-स्वयंवर : कुछ दोहे*
*सीता-स्वयंवर : कुछ दोहे*
Ravi Prakash
पेंशन
पेंशन
Sanjay ' शून्य'
2606.पूर्णिका
2606.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
बदली मन की भावना, बदली है  मनुहार।
बदली मन की भावना, बदली है मनुहार।
Arvind trivedi
दिल के रिश्ते
दिल के रिश्ते
Bodhisatva kastooriya
Acrostic Poem
Acrostic Poem
jayanth kaweeshwar
गलतियाँ हो गयीं होंगी
गलतियाँ हो गयीं होंगी
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
बांते
बांते
Punam Pande
पत्र गया जीमेल से,
पत्र गया जीमेल से,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
ये आँखे हट नही रही तेरे दीदार से, पता नही
ये आँखे हट नही रही तेरे दीदार से, पता नही
Tarun Garg
हमने तूफानों में भी दीपक जलते देखा है
हमने तूफानों में भी दीपक जलते देखा है
कवि दीपक बवेजा
सफाई कामगारों के हक और अधिकारों की दास्तां को बयां करती हुई कविता 'आखिर कब तक'
सफाई कामगारों के हक और अधिकारों की दास्तां को बयां करती हुई कविता 'आखिर कब तक'
Dr. Narendra Valmiki
"सत्य"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरे पृष्ठों को खोलोगे _यही संदेश पाओगे ।
मेरे पृष्ठों को खोलोगे _यही संदेश पाओगे ।
Rajesh vyas
■ चातुर्मास
■ चातुर्मास
*Author प्रणय प्रभात*
काव्य की आत्मा और औचित्य +रमेशराज
काव्य की आत्मा और औचित्य +रमेशराज
कवि रमेशराज
गुरु
गुरु
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वो लड़की
वो लड़की
Kunal Kanth
Loading...