लक्ष्मी सिंह 1035 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 9 Next लक्ष्मी सिंह 27 Dec 2019 · 1 min read विरह/जुदाई विरह अग्नि में जलता तन मन, भभक उठी चिन्गारी । आँखें बंद करूँ या खोलूँ, सूरत दिखे तुम्हारी। भँवर याद में उलझी रहती,कैसे सहे जुदाई- प्यार किया है मैंने तुम... Hindi · मुक्तक 2 2 219 Share लक्ष्मी सिंह 26 Dec 2019 · 1 min read नेह गंध मादक दे रही प्रिय रातरानी नेह में। लग रही ज्यों घोलती रति गंध चंदन देह में। चाँदनी बरसे गगन से राग कितने झर रहे - पूर्ण जग को भूल... Hindi · मुक्तक 3 212 Share लक्ष्मी सिंह 24 Dec 2019 · 1 min read अरमान दिलों का तोड़ चला। जब उसने दुत्कारा मुझ को,अरमान दिलों का तोड़ चला। जीवन के सब रंगी मौसम,तब साथ हमारा छोड़ चला। नभ में सन्नाटा-सा छाया,बस दुख का बादल घेर लिया- जाने क्या उस... Hindi · मुक्तक 4 1 179 Share लक्ष्मी सिंह 24 Dec 2019 · 1 min read विरहन नित नयनों में बादल अटके। आँसू बन पलकों पर लटके। मोती के कमलों पर बैठी- विरहन का मन इत-उत भटके। -लक्ष्मी सिंह नई दिल्ली Hindi · मुक्तक 2 226 Share लक्ष्मी सिंह 24 Dec 2019 · 1 min read है नहीं मुश्किल ज़रा तुम प्यार कर देखो। 2122 2122 21222 है नहीं मुश्किल ज़रा तुम प्यार कर देखो। जीत कर भी प्यार में तुम हार कर देखो। हो भरा मन में अहं तो प्रेम कैसे हो, यार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 199 Share लक्ष्मी सिंह 23 Dec 2019 · 1 min read प्रेम राधा-मीरा की तरह,हुई प्रेम में बाध्य। दवा लगा जाओ हृदय, ओ! मेरे आराध्य। ओ मेरे आराध्य,श्याम सुंदर मनमोहन। चीर वेदना शेष,रहे बेकल मेरा मन। दे दो पूर्ण विराम, मिलन तेरा... Hindi · कुण्डलिया 1 1 384 Share लक्ष्मी सिंह 22 Dec 2019 · 1 min read एक धर्म इंसानियत प्रदत्त चित्र पर आधारित दोहे --------------------------------------- अलग-अलग हर खोपड़ी, बोल रहा इक मंत्र। सब धर्मों को मान दो,तभी देश गणतंत्र।।१ अपना ये संसार है, अपने हैं सब लोग। फिर क्यों... Hindi · दोहा 1 497 Share लक्ष्मी सिंह 21 Dec 2019 · 1 min read उठाऊँ लेखनी जब भी उठाऊँ लेखनी जब भी हृदय का दर्द झरता है। मनाऊँ लाख मैं खुद को नहीं दिल धीर धरता है। जगत को देख कर रोई बिगड़ते हाल पर रोई, कठिन है... Hindi · मुक्तक 2 1 584 Share लक्ष्मी सिंह 15 Dec 2019 · 1 min read राह कोई नयी-सी बनाते चलो। ◆छंद:-वाचिक सृग्विणी ◆मापनी:-212 212 212 212 राह कोई नयी-सी बनाते चलो। दूरियाँ मंजिलों की मिटाते चलो। जिंदगी में खुशी के कभी फूल हैं। तो कभी कष्टदायी कई शूल हैं। शूल... Hindi · गीत · वाचिक सृग्विणी छंद 1 2 233 Share लक्ष्मी सिंह 14 Dec 2019 · 1 min read मृगनयनी मृगनयनी नयनों में काजल। तीर बिना ही करती घायल। इस नयनों से कितने मरते, कितने हो जाते हैं पागल। -लक्ष्मी सिंह नई दिल्ली Hindi · मुक्तक 185 Share लक्ष्मी सिंह 14 Dec 2019 · 1 min read नारी शारदा लक्ष्मी दुर्गा नाम, त्याग ममता सुख की खान। द्रोपदी अनसुइया सुख धाम, सप्त सुर सरगम-सी मुस्कान। सर्व गुण संस्कारों से पूर सजी मर्यादा से नारी देह, लुटा तन-मन दुख... Hindi · नारी शक्ति · मुक्तक 437 Share लक्ष्मी सिंह 14 Dec 2019 · 1 min read यादों के बादल जब घिरते यादों के बादल। कर जाते हैं मुझको पागल। रात रात भर रोती रहती, घुल जाते नयनों से काजल। लक्ष्मी सिंह Hindi · मुक्तक 1 1 159 Share लक्ष्मी सिंह 14 Dec 2019 · 1 min read कविता गीतिका छंदाधारित गीत भावना के फूल खिलते,तब कहीं कविता बने। तूलिका से भाव बह कर, काव्य की सरिता बने। जब हृदय में ताप बढ़ती, दर्द की बौछार हो। दर्द जब... Hindi · कविता · गीत · गीतिका छंद 2 420 Share लक्ष्मी सिंह 14 Dec 2019 · 1 min read वेदना कठपुतली बन कर रही, किसी और के हाथ। तड़प वेदना का रहा,जीवन भर का साथ।। मन की अंतर्वेदना, समझ सका है कौन। बढ़े पीर हद से अधिक, हो जाती हूँ... Hindi · दोहा 1 215 Share लक्ष्मी सिंह 14 Dec 2019 · 1 min read करो नारी खुद पर विश्वास ************************** श्रृंगार छंद 16मात्रा/आरंभ में त्रिकल, द्विकल फिर त्रिकल अनिवार्य ★★★★★★★★★★★★ करो नारी खुद पर विश्वास। जन्म तेरा है सबसे खास। कभी मत होना कुंठा ग्रस्त। नहीं होना विपदा से... Hindi · गीत · नारी शक्ति · श्रृंगार छंद 440 Share लक्ष्मी सिंह 14 Dec 2019 · 1 min read शब्द रंगोंली गम खुशियों की खेले होली। शब्दों से बनती रंगोली। कभी हृदय में शूल चुभातें , कभी कर्ण में मिश्री घोली। अंतर मन को छलनी कर दे, जब चलती शब्दों की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 297 Share लक्ष्मी सिंह 14 Dec 2019 · 1 min read वीर बालिका नन्हीं-मुन्हीं वीर बालिका, भय नाशक अरु देश सेविका । शीश उठाकर सीना ताने। ये दीवाने हैं मस्ताने। खाकी वर्दी टोपी डाले। कांधे पर बंदूक सँभाले। श्रम बिन्दु का लगा के... Hindi · कविता · गीत · चौपाई · बाल कविता · बेटी/बेटियां 1 1k Share लक्ष्मी सिंह 13 Dec 2019 · 1 min read कुर्सी देखो कुर्सी के लिए, नेता में तकरार। यहाँ सभी के मूँह से, टपक रहे हैं लार।। निकल पड़े नेता सभी,ले दल-बल हथियार। इक दूजे पर कर रहे, तीखा शब्द प्रहार।।... Hindi · दोहा 2 191 Share लक्ष्मी सिंह 13 Dec 2019 · 1 min read नारी शक्ति सहमा सहमा है चमन, डरा हुआ हर फूल। खूनी पंजा हर जगह, लिए हाथ में शूल।। सभी शक्तियों की रही, नारी ही अवतार। पर सदियों से सह रही, कितना अत्याचार।।... Hindi · दोहा · नारी शक्ति 1 2 205 Share लक्ष्मी सिंह 13 Dec 2019 · 1 min read भोर महाश्रृंगार छंद सृजन भोर ने जब भी खोली आँख, लालिमा लेकर अपने संग। मिटा अवसादों का हर जाल, दिशा हो जाती है खुश रंग। मलय -सा माथे पर है सूर्य,... Hindi · गीत · महाशृंगार छंद · विहान/भोर 1 307 Share लक्ष्मी सिंह 13 Dec 2019 · 1 min read नारी महाशृंगार_छंद_सृजन_ ईश करते नारी में वास,यही देवी दुर्गा अवतार। भरे नित जीवन में उल्लास,जगत जननी ये पालन हार । बहन ,बेटी, बहु, भाभी, मात, लिये नारी ने कितने रूप। जगत... Hindi · गीत · नारी शक्ति · महाशृंगार छंद 1 182 Share लक्ष्मी सिंह 11 Dec 2019 · 1 min read मँहगाई श्रृंगार छंद 16मात्रा/आरंभ में त्रिकल, द्विकल फिर त्रिकल अनिवार्य नित्य मँहगाई करे कमाल। आम जनता की उधड़े खाल। तीन सौ के लहसुन है पार। प्याज कहता मुझको मत तार। मटर... Hindi · गीत · श्रृंगार छंद 1 2 184 Share लक्ष्मी सिंह 10 Dec 2019 · 1 min read राम पंचचामर (मापनी युक्त मात्रिक) विधान - 2121 2121 2121 212 हैं उजास पूर्ण राम, रूप ध्यान कीजिये। हैं दयालु, दीन बन्धु,दीप दान कीजिये। राम हैं कृपा निधान, राम नाम बोलिये-... Hindi · मुक्तक 1 156 Share लक्ष्मी सिंह 10 Dec 2019 · 1 min read राम पंचचामर छंद (मापनी युक्त मात्रिक) विधान - 2121 2121 2121 212 जो कभी गुमान दंभ, भूल से नहीं किया। प्रात काल राम नाम,नित्य प्रेम से लिया। धर्म-कर्म, भक्ति-भाव, सिर्फ संग... Hindi · मुक्तक 178 Share लक्ष्मी सिंह 10 Dec 2019 · 1 min read गधा चला पढ़ने विद्यालय, सार छंद ???????????? गधा चला पढ़ने विद्यालय, ले हाथों में बस्ता। चलते-चलते भूल गया वह, विद्यालय का रस्ता। इधर- उधर वह देख रहा था नजर न कोई आया। सोच रहा... Hindi · गीत · ललित छंद/सार छंद · हास्य कविता · हास्य गीत 284 Share लक्ष्मी सिंह 9 Dec 2019 · 1 min read प्याज श्रृंगार छंद रोज गिर रहा दीन पर गाज। हुआ है कितना मँहगा प्याज़। प्याज़ मिलता है ऊँचे दाम। नमक मिर्ची से चलता काम। नहीं अब कटता प्याज़ सलाद। प्याज़ बिन... Hindi · गीत · श्रृंगार छंद 431 Share लक्ष्मी सिंह 9 Dec 2019 · 1 min read गौरैया विधा.. लावणी छंद ★★★★★★★★★ बिन वर्षा जंगल सूखा है, सूखे सब ताल तलैया। सूखी टहनी पर बैठी हूँ,मैं गुमसुम-सी गौरैया। उजाड़ दिया आधुनिकता ने, मेरा हर एक ठिकाना। छोटे से... Hindi · गीत · लावणी /ताटंक छंद 2 248 Share लक्ष्मी सिंह 7 Dec 2019 · 1 min read मोबाइल देखो मोबाइल की सबको,लगी है कैसी बीमारी । क्या बूढ़े क्या बच्चे सब पर, हुआ है ये अब तो भारी । खाते-पीते,सोते-उठते, इसी को ढ़ूढ़ा करते हैं- सब नकली दुनिया... Hindi · मुक्तक 140 Share लक्ष्मी सिंह 7 Dec 2019 · 1 min read बोल बम-बम कांवड़िया बोल। शृंगार छन्द 16मात्रा/आरंभ में त्रिकल, द्विकल फिर त्रिकल अनिवार्य बोल बम-बम कांवड़िया बोल। सदा शिव की मस्ती में डोल। पुण्य सावन का आया माह। पूर्ण होगी तेरी हर चाह। लिए... Hindi · गीत · भजन · श्रृंगार छंद 401 Share लक्ष्मी सिंह 7 Dec 2019 · 1 min read देव अब जो करना निर्माण। ******************** शृंगार छंद 16मात्रा/आरंभ में त्रिकल, द्विकल फिर त्रिकल अनिवार्य ******************* देव अब जो करना निर्माण। पुरुष से नारी हो बलवान। लौह तन सांकल-सी शक्ति। अटल हो प्रभंजन अभिव्यक्ति। शख्त... Hindi · गीत · नारी शक्ति · श्रृंगार छंद 1 1 201 Share लक्ष्मी सिंह 6 Dec 2019 · 1 min read रुगी छंद छोटी रोटी थोड़ी मोटी लड्डू गोल मीठी बोल। खीरा छोड़ हीरा तोड़ माथे झोल पेटी खोल माया जाल बूरा हाल बैठा काल तोड़े डाल मीत नहीं रीत यही गीली मिट्टी... Hindi · कविता · रुगी छंद 1 269 Share लक्ष्मी सिंह 6 Dec 2019 · 1 min read मार-पीट से बच्चा मार-पीट से बच्चों का, कोमल मन होता तार-तार। मानसिक तौर पर कर देता है बच्चों को बीमार।। मारने वालों के प्रति पैदा होता है घृणा विकट। यह घृणा अलग- अलग... Hindi · कविता 3 183 Share लक्ष्मी सिंह 6 Dec 2019 · 1 min read पलाश 1) पलाश सखी सौन्दर्य के प्रतीक आभा वसंती। 2) लाल-लावा दुनिया को सजाता रंग लुटाता। 3) पलाश आया उपवन मुस्कारा फागुन लाया। 4) कोरे लम्हों पे फूल पलाश रचे जीवन... Hindi · हाइकु 1 333 Share लक्ष्मी सिंह 6 Dec 2019 · 1 min read दीनानाथ विधा-बरवै छन्द ****************** बहुत दीन अनाथ हूँ, दीनानाथ। सिर पर अब रख दो प्रभु ,अपना हाथ।। दुनिया रंग बिरंगी,मिले न मीत। पैसे के सब संगी,जग का रीत।। आज शरण में... Hindi · -बरवै छन्द · ग़ज़ल/गीतिका · गीतिका · भजन · वंदना 495 Share लक्ष्मी सिंह 4 Dec 2019 · 1 min read कर्म योद्धा मुश्किलों को देख कर भी वीर घबराते नहीं। चल पड़े जिस राह पर फिर, लौट कर आते नहीं। कर्म योद्धा जो बना सब,यत्न से हासिल करें- मंजिलों को चूमकर वो,... Hindi · मुक्तक 350 Share लक्ष्मी सिंह 4 Dec 2019 · 1 min read जय श्री राम। विधा-बरवै छन्द ****************** नित्य जपो मन मेरे,जय श्री राम। प्यारा प्रभु की नगरी, प्यारा नाम।। जीवन छोटी नैया, प्रभु पतवार। जो जपा प्रभु नाम को,भव से पार।। प्रभु नाम में... Hindi · -बरवै छन्द · ग़ज़ल/गीतिका · गीतिका · भजन · वंदना 243 Share लक्ष्मी सिंह 3 Dec 2019 · 1 min read भोर का आनंद लै लो छन्द - रजनी मापनी युक्त मात्रिक । 23 मात्रा , 19 - 9 पर यति । यह छन्द राधा का वाचिक रूप है । मापनी - 2122 2122 2122 2... Hindi · गीत · रजनी छंद · विहान/भोर 340 Share लक्ष्मी सिंह 3 Dec 2019 · 1 min read बालमा ओ बालमा (विरह गीत) विधा-रूपमालाछंद ★★★★★★★★★★ बालमा ओ बालमा जी,क्यों गये परदेश। चार पैसे के लिए दिल,पर लगा कर ठेस। हाय तेरी नौकरी से, छिन गया सुख चैन। ढ़ूंढ़ते- फिरते तुम्हें ही नित्य पागल... Hindi · गीत · रूपमाला छंद · विरह · विरह गीत 1 231 Share लक्ष्मी सिंह 2 Dec 2019 · 1 min read बचपन रूपमाला छंद +++++++++- बाल मन निर्मल बहुत है,और हैं मासूम। रूठते पल में मनाते, खिलखिलाते झूम। रूप है भगवान जैसा, है, हृदय अनमोल। कर्ण में रस घोलते मुख, से निकलते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीतिका · बचपन · रूपमाला छंद 1 471 Share लक्ष्मी सिंह 2 Dec 2019 · 1 min read सर्द की रात( विरह) रूपमाला छंद शिल्प-14'10की यति पर चरणान्त गुरु लघु मापनी-2122,2122, 2122 21 ********************************* काटते कटती नहीं है ,सर्द की यह रात। याद आती है मुझे प्रिय ,प्रेम की हर बात। नींद... Hindi · गीत · रूपमाला छंद · विरह · विरह गीत 1 244 Share लक्ष्मी सिंह 1 Dec 2019 · 1 min read क्रोध की ज्वाला क्रोध से क्रोध को लगी हवा। क्रोध की ज्वाला भभक उठा। क्रोध से क्रोध पर त्योरियाँ चढ़ी। उचित- अनुचित सब दूर खड़ी। यकायक तन झंकृत हुआ। समूचा बदन क्रोध से... Hindi · कविता 343 Share लक्ष्मी सिंह 28 Nov 2019 · 1 min read सरस्वती वंदना रूपमाला छन्द ★★★★★★★★ हे भवानी! भारती! मुझ पर करो उपकार। हाथ जोड़े हूँ खड़ी कर लो नमन स्वीकार। दीप आशा की जलाये आ गई हूँ द्वार। हर दिवस लिखती रहूँ... Hindi · गीत · भजन · रूपमाला छंद · वंदना · स्तुति 2 2 574 Share लक्ष्मी सिंह 28 Nov 2019 · 1 min read सरस्वती वंदना हरिगीतिका छंद ★★★★★★★ हे भारती! तप साधिका विद्या,कला,शुभदायिनी। हे मात! नत मस्तक नमन है, वंदना नित नंदिनी। माँ!सौम्य रूपा,चंद्र वदनी,श्वेत वर्णी योगिनी। है श्वेत सारी में सजी ब्रह्मा सुता सन्यासिनी।... Hindi · गीत · भजन · वंदना · स्तुति · हरिगीतिका छंद 1 1 621 Share लक्ष्मी सिंह 25 Nov 2019 · 1 min read उजाला सदा अँधेरे से घिरा, सपने काले रंग। रहा उजाला ढूँढता, मिला नहीं पर संग।। घनी अँधेरी जिन्दगी, नहीं उजाला साथ। दीपक बन जलना पिया,थामें रखना हाथ।। दिल को ऐसे छू... Hindi · दोहा 1 163 Share लक्ष्मी सिंह 24 Nov 2019 · 1 min read बजरंग बली तिलका छंद विधान-दो सगण सूत्र पर आधारित। ★★★★★ बजरंग बली। दर आज चली। जयकार भली । रिपु तोड़ नली । हृद राम-सिया। गुणगान किया। प्रभु नाम लिया सब काम किया।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीतिका · तिलका छंद · भजन · वंदना 389 Share लक्ष्मी सिंह 24 Nov 2019 · 1 min read प्रेम -तिलका छंद ★★★★★★ जब प्रेम किया। बस प्रेम किया। मुख मोड़ लिया। जग छोड़ दिया। मन फूल खिला। जब प्रेम मिला। किस राह चला। मन ये पगला। मुख मूक रहा।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीतिका · तिलका छंद · प्रेम 371 Share लक्ष्मी सिंह 24 Nov 2019 · 1 min read संकोच जितनी सुन्दर भावना, उतनी सुन्दर सोच। सूर्य किरण की तेज से, सिमट गया संकोच।। साहस संयम से बढ़ो, करो नहीं संकोच। किया अगर संकोच तो, दुनिया लेगी नोच।। करे नहीं... Hindi · दोहा 1 2 241 Share लक्ष्मी सिंह 24 Nov 2019 · 1 min read सूरज/सूर्य -दोहा गीत सूरज पूरब से उगा, लाया नवल प्रभात। सभी ओर है रोशनी, खत्म हुई अब रात। नव-कलियाँ खिलने लगीं, फूलों पर मुस्कान। बाग-बाग में तितलियाँ, भरने लगीं उड़ान। कलरव... Hindi · गीत · दोहा गीत 1 353 Share लक्ष्मी सिंह 24 Nov 2019 · 1 min read वीर साहसी बनो - रक्ता छंद रगण जगण+गुरु =(७वर्ण) वीर साहसी बनो। यूँ न आलसी बनो। सूर्य चंद्र -सा बनो। रत्न यत्न से चुनो। लक्ष्य साध के बढ़ो। धैर्य बाँध के बढ़ो। तुंग... Hindi · कविता · बाल कविता · रक्ता छंद 1 1 236 Share लक्ष्मी सिंह 24 Nov 2019 · 1 min read प्रकृति प्रकृति एक "माँ“की तरह, रखती सबका ख्याल। हैं ये जीवन दायनी, इसको रखो सँभाल।। १ नीर , हवा , भोजन ,वसन, मुफ्त लुटाती दान। स्वार्थ भरा फिर भी मनुज, करे... Hindi · दोहा 1 216 Share Previous Page 9 Next