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27 Dec 2019 · 1 min read

विरह/जुदाई

विरह अग्नि में जलता तन मन, भभक उठी चिन्गारी ।
आँखें बंद करूँ या खोलूँ, सूरत दिखे तुम्हारी।
भँवर याद में उलझी रहती,कैसे सहे जुदाई-
प्यार किया है मैंने तुम से, तू है जान हमारी।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 186 Views
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