Sudhir kewaliya 42 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Sudhir kewaliya 25 Oct 2020 · 1 min read पुतले बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीकात्मक रुप में इस बार संक्रमण की वैश्विक आपदा के समय नहीं जलेंगे पुतले आतंक , व्यभिचार , बलात्कार भ्रष्टाचार के चारों ओर घूमते... Hindi · कविता 1 324 Share Sudhir kewaliya 11 Oct 2020 · 1 min read अनजाना हार गए हैं आईने भी इंसान को पहचानने में यहां चेहरे अपनों के भी मुखोटों के पीछे गुम हो गए हैं बंद रखे हैं खिड़की औ दरवाजे घरों के शहर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 433 Share Sudhir kewaliya 4 Oct 2020 · 1 min read मुसाफ़िर अकेले ही चलना होता है इंसान को पूरा करने को एक निश्चित सफ़र तमस से निकलकर उजाले की ओर वक़्त से बंधी पहेलीनुमा ज़िंदगी में....... मुसाफ़िर ही तो है वह... Hindi · कविता 2 1 209 Share Sudhir kewaliya 12 Sep 2020 · 1 min read भाषा अजीब सी छटपटाहट है रुह को बंधन में इंसानी देह की ............. नहीं मिल पा रहा है उसे चैन देखकर और महसूस कर वातावरण और संबंधों में घुला भाषा में... Hindi · कविता 3 1 414 Share Sudhir kewaliya 6 Jul 2020 · 1 min read ज़िंदगी करते हैं शिक़वे शिकायतें सभी उम्र भर फिर भी कितनी गुलज़ार है ये ज़िंदगी शुक्रगुज़ार हैं दो रोज़ा जीस्त के हम सभी वक़्त की कैद से आजाद नहीं है ये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 370 Share Sudhir kewaliya 16 Jun 2020 · 1 min read सोच बाहर रोशनी की चकाचौंध तालियों की गड़गड़ाहट , भीड़ का शोर इनसे घिरे एक इंसान का मुस्कुराता हुआ चेहरा नहीं जानते लोग उस इंसान के भीतर छाया अंधेरा एक अजीब... Hindi · कविता 2 311 Share Sudhir kewaliya 31 May 2020 · 1 min read इंसान कभी मरता नहीं है इंसान ज़िन्दा रहता है हमेशा यादों में कुछ अपनों की कुछ परायों की ज़िन्दा रहता है घर की किसी दीवार पर टँगे किसी फ्रेम में एक... Hindi · कविता 2 455 Share Sudhir kewaliya 26 May 2020 · 1 min read जमीन हैरान हैं उड़ते हुए परिन्दे देखकर इंसान की लाचारी और अकेलापन इंसान को खुद की ही बनाई एक चारदीवारी में कैद संक्रमण का जैविक आपदा से अजीब सा डर है... Hindi · कविता 1 272 Share Sudhir kewaliya 12 May 2020 · 1 min read मंज़िल रफ्तार से गुजर जाती है ट्रेन पटरी पर सोते इंसानी जिस्मों पर से मंज़िल की ओर अपनी गुम जाती है उनकी भूख और चीखें पटरियों पर ट्रेन की तेज घड़घड़ाहट... Hindi · कविता 2 3 211 Share Sudhir kewaliya 19 Apr 2020 · 1 min read फ़ज़ा बदल रही है फ़ज़ा जमाने की बादलों की ओट से निकल कर मुस्कुराता हुआ सूरज बिखेर रहा है लालिमा चारों ओर चमन फिर से गुलजार हो रहा है छंट रहे... Hindi · कविता 1 533 Share Sudhir kewaliya 9 Apr 2020 · 1 min read मंज़िल हाथ और पांव के छाले निशानी हैं मेहनत की उनकी महामारी में मजदूरों की दूसरी दास्ताँ बयाँ कर रहे हैं बसे हैं मजदूरों की आंखों में कई इमारतों के नक्शे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 206 Share Sudhir kewaliya 27 Mar 2020 · 1 min read त्राहिमाम एक जैविक आपदा ने मचा दिया है कोहराम छीन लिया है इसने इंसान का चैन और आराम बोया इंसान ने पेड़ बबूल का कैसे उगेगा उस पर कभी आम सावधानी... Hindi · कविता 344 Share Sudhir kewaliya 6 Mar 2020 · 1 min read शब्द दंगे फसाद के बाद वहां पसरी खामोशी में भी सुनाई दे रही है जले - अधजले मकान और दुकानों की दास्तान इसी खामोशी में दबी है सूनी हुई कई मांगों... Hindi · कविता 2 576 Share Sudhir kewaliya 14 Jan 2020 · 1 min read पतंग आसमान में कभी ऊपर तो कभी नीचे उड़ती कभी पेंच काटती , कटती कट कर , लुट कर पूरा करती है सफ़र अपना इंसानी हाथों में डोर से बंधी और... Hindi · कविता 1 267 Share Sudhir kewaliya 1 Jan 2020 · 1 min read नववर्ष - 2020 छोड़कर बीते वर्ष को ठिठुरती रात में एक नई सुबह गुनगुनी धूप के सहारे आ गया है नववर्ष..................... विभिन्न घटनाओं के घटने कुछ अपनों के जुड़ने और घटने होनी अनहोनी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 184 Share Sudhir kewaliya 15 Dec 2019 · 1 min read फिर से यादों की खिड़कियों से झांकने लगता है इंसान अपने अतीत में जी लेना चाहता है फिर से उन खूबसूरत लम्हों को जिन्होने बनाया है खूबसूरत यादों को होकर कैद उनमें... Hindi · कविता 1 201 Share Sudhir kewaliya 6 Dec 2019 · 1 min read बेबसी बेबसी ----------- रेत पर फिर इबारत लिखने को मन कर रहा है हवा का तेज झोंका उसे मिटाने की सोच रहा है हर मिटी इबारत से कारवां यादों का चल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 349 Share Sudhir kewaliya 12 Oct 2019 · 1 min read दस्तूर बिगड़े हालात वजह न थे जिनके यहां आने की कभी आज धूल के गुबार उड़ाता उनका काफिला आ रहा है अफरातफरी मची है हर ओर हमदर्द बनने की पहल में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 353 Share Sudhir kewaliya 8 Oct 2019 · 1 min read प्रतीक रावण , मेघनाद और कुम्भकर्ण पुतले के दहन से असत्य पर सत्य की जीत मानकर सभी आनन्दित हैं ........ बेखबर हैं सभी अपने ही आसपास मौजूद शराफत के मुखौटे लगाए... Hindi · कविता 529 Share Sudhir kewaliya 1 Oct 2019 · 1 min read बादल बादल --------- पनप रहे हैं कैक्टस बंजर हो रही धरा पर काले और सफेद बादल साथ में बरसने लगते हैं देखकर पनपते हुए कैक्टस वहां........…............. इंतज़ार रहता है बारिश का... Hindi · कविता 248 Share Sudhir kewaliya 22 Sep 2019 · 1 min read सौदा सौदा -------- बिकता होगा कोई इंसान किसी कीमत पर यहां नादां हैं मुझसे इंसानियत का सौदा करने आए हैं कर ही न सके जो सौदा मेरे हुनर का कल तक... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 202 Share Sudhir kewaliya 3 Sep 2019 · 1 min read तस्वीरें तस्वीरें ----------- एल्बम में ये तस्वीरें सिर्फ तस्वीरें ही नहीं हैं ये हैं गुजरा वक़्त और उसके यादगार लम्हे गुजरा वक़्त तो वापिस आ नहीं सकता तस्वीरें उस वक़्त को... Hindi · कविता 348 Share Sudhir kewaliya 11 Aug 2019 · 1 min read फ़ज़ा फ़ज़ा --------- बदल रही है फ़ज़ा घाटी की बादलों की ओट से निकल कर मुस्कुराता हुआ सूरज बिखेर रहा है लालिमा चारों ओर चमन फिर से गुलज़ार हो रहा है... Hindi · कविता 226 Share Sudhir kewaliya 28 Jul 2019 · 1 min read रिश्ता रिश्ता --------- गायब हो गई है गहराई अब इंसानी रिश्तों में कल लगाया रंग भी आज फीका पड़ गया है बेखौफ़ चलता रहा कांटों भरी राहे ज़िंदगी पर तोहफ़े में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 406 Share Sudhir kewaliya 6 Jul 2019 · 1 min read सौदा सौदा -------- बिकता होगा कोई इंसान किसी कीमत पर यहां नादां हैं मुझसे इंसानियत का सौदा करने आए हैं कर ही न सके जो सौदा मेरे हुनर का कल तक... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 238 Share Sudhir kewaliya 14 Jun 2019 · 1 min read आँचल जमकर बरसा आवारा बादल नहीं भिगो पाया आँचल मेरा हां,आंसुओं से भीगा आँचल मेरा संभालकर रखे हैं कुछ आंसू बिखरने से बचाकर इन आंसुओं में कैद है तस्वीरें ,यादें उन... Hindi · कविता 1 450 Share Sudhir kewaliya 14 Jun 2019 · 1 min read आँचल आँचल ----------- आवारा ही तो है बादल जमकर बरसा फिर भी नहीं भीगो पाया आँचल मेरा हां, आँचल मेरा आंसुओं से भीगा संभालकर रखे हैं कुछ आंसू बिखरने से बचाकर... Hindi · कविता 1 1 426 Share Sudhir kewaliya 7 Jun 2019 · 1 min read पहेली पहेली --------- प्रकाश और अंधकार समय के अंतराल पर एक दूसरे को अपने आँचल में समेटते.......... कभी धूप और कभी छाँव पल-पल इम्तिहान लेती कभी सफल तो कभी असफल...................... सुख... Hindi · कविता 279 Share Sudhir kewaliya 2 Jun 2019 · 1 min read सफ़र सफ़र ----------- खुशी और गम के छोर उनके बीच वक़्त के नाजुक धागे से बंधी कुदरत का नायाब तोहफ़ा खूबसूरत ज़िंदगी......... वक़्त के साथ खुलने और बंद होने वाले बचपन... Hindi · कविता 1 210 Share Sudhir kewaliya 25 May 2019 · 1 min read नसीब नसीब ------------- जब भी देखता हूँ आईना वक़्त से पहले बालों से गुजरती सफ़ेदी और आईना पूछने लगते हैं मुझसे मेरा गुनाह और तन्हाई वक़्त के नाख़ून फिर से कुरेदने... Hindi · कविता 1 186 Share Sudhir kewaliya 13 May 2019 · 1 min read स्थायी स्थायी ----------- नहीं मानता कि कुछ भी स्थायी नहीं है दुनिया में मेरे कुछ अपनों की दुनिया में देखता आ रहा हूं बरसों से सब कुछ स्थायी है.................... मकान में... Hindi · कविता 389 Share Sudhir kewaliya 1 May 2019 · 1 min read मजदूर दिवस मजदूर दिवस ------------------ चिलचिलाती धूप या मूसलाधार बारिश या शरीर कंपकपाती ठंड सबसे बेपरवाह सुनाई देती है आवाज चौतरफा कहीं फावड़े ,गेंती, मशीन और कलम की अपना खून , पसीना... Hindi · कविता 371 Share Sudhir kewaliya 27 Apr 2019 · 1 min read ताल्लुकात ताल्लुकात --------------- नहीं करना चाहता है वह सामाजिक रिश्तों में देकर वक़्त जाया अपना देकर तवज्जो सामाजिक रिश्तों पर फुरसत नहीं है सियासी ताल्लुकात बनाने से ................... अपनी सोच के... Hindi · कविता 490 Share Sudhir kewaliya 12 Apr 2019 · 1 min read वजूद वजूद ---------- करता है इंसान ताउम्र गुरुर शोहरत पर अपनी वक़्त औ हालात हमेशा मुस्तक़िल भी नहीं रहते मुगालते में रहता है ताउम्र सायों के साथ का अंधेरे में इंसान... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 396 Share Sudhir kewaliya 3 Apr 2019 · 1 min read मायने मायने --------- कमरे की खुली खिड़की से घुसपैठ करता रहता है उजाला करने को दूर अंदर का अंधेरा बेबस है नहीं कर सकता दूर मेरे अंदर का अंधेरा................. जाने क्यों... Hindi · कविता 408 Share Sudhir kewaliya 30 Mar 2019 · 1 min read मंज़र मंज़र --------------- ज़िंदगी में मंज़र बदलते हर दौर को हमने देखा है इम्तेहाने ज़िंदगी में अपनों को पराया होते देखा है चौतरफ़ा पसरा अंधेरा ही उदासी का सबब नहीं है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 371 Share Sudhir kewaliya 20 Mar 2019 · 1 min read मुहब्बत मुहब्बत ----------- निशाँ है हमारी मुहब्बत के हिज़्र के बाद भी वहाँ ज़िंदगी में एक बार वह मक़ाम मुड़कर तो देखो नहीं छोड़ता है पीछा इंसान का यादों का कारवाँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 420 Share Sudhir kewaliya 15 Mar 2019 · 1 min read तन्हा तन्हा --------- शोर मचाती हुई तेज रफ़्तार से आकर टकराती हैं साहिल से समन्दर की मौजें बिखरकर लौट जाती हैं खामोशी से..... अब अपने कदमों के निशाँ नहीं पाता हूं... Hindi · कविता 440 Share Sudhir kewaliya 26 Feb 2019 · 1 min read अमानत अमानत ------------ महफूज़ है मेरी बंद हथेलियों में तुम्हारी आंख से ढुलके अनमोल अश्क जो अमानत हैं तुम्हारी संभालकर रखे थे तुमने अरसे से आंखों की कोर पर तुम्हारे बहाकर... Hindi · कविता 349 Share Sudhir kewaliya 15 Feb 2019 · 1 min read इन्तहा इन्तहा ----------- बहुत कुछ दरक गया है मेरे अन्दर देखकर,सुनकर पल भर में बेजान होते इंसानी जिस्म वातावरण में फैलती बारुदी गंध कामयाब होते इन्सानी नफ़रत फैलाने के मंसूबे बेगुनाहों... Hindi · कविता 573 Share Sudhir kewaliya 7 Feb 2019 · 1 min read खुदगर्ज़ खुदगर्ज़ ---------------- आईने में अक्स बढ़ती उम्र का हिसाब मांग रहा है कांपता हुआ मेरा साया भी अब सहारा मांग रहा है भूल गया है शख्स अपनी सूरत पहनकर मुखौटे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 249 Share Sudhir kewaliya 7 Feb 2019 · 1 min read खुदगर्ज़ खुदगर्ज़ ---------------- आईने में अक्स बढ़ती उम्र का हिसाब मांग रहा है कांपता हुआ मेरा साया भी अब सहारा मांग रहा है भूल गया है शख्स अपनी सूरत पहनकर मुखौटे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 195 Share