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14 Jun 2019 · 1 min read

आँचल

आँचल
———–
आवारा ही तो है बादल
जमकर बरसा
फिर भी
नहीं भीगो पाया आँचल मेरा
हां, आँचल मेरा
आंसुओं से भीगा
संभालकर रखे हैं
कुछ आंसू बिखरने से बचाकर
इन आंसुओं में कैद है
तस्वीरें ,यादें उन अपनों की
जिनके साथ हुई दरिंदगी की
दास्ताँ से भरे हैं अखबार
फिर से रौशन होती
किसी चौराहे पर
मोमबत्तियों की रोशनी में
गुम सी होती लगती है
इन मोमबत्तियों के जलने की
वजह की तस्वीर
बारिश के पानी ने मिटा दिए हैं
दरिंदगी के वे सभी निशाँ
पर निशाँ आज भी महफूज़ हैं
दर्द के साथ
मेरे खाली आँचल में
नहीं भीगो पाया आँचल मेरा………..

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 419 Views
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