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28 Jul 2019 · 1 min read

रिश्ता

रिश्ता
———
गायब हो गई है गहराई अब इंसानी रिश्तों में
कल लगाया रंग भी आज फीका पड़ गया है

बेखौफ़ चलता रहा कांटों भरी राहे ज़िंदगी पर
तोहफ़े में मुझे हमेशा कैक्टस ही दिया गया है

अलग होती है ख़्वाबों से हकीकत की दुनिया
टूटता तारा देख इंसान मुराद मांगता रह गया है

नहीं भूला पाता उनके दिए ज़ख्मों को मैं कभी
वक़्त कुरेदकर उन्हे याद उनकी दिलाता गया है

खूबसूरत रिश्ता निभाते हैं साया और तन्हाई मेरा
छूटते साथ तन्हाई का साया साथ देने लग गया है….

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