Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2024 · 1 min read

मन की संवेदना

मन की संवेदना छिपाकर जीना सीख गया मैं
हंसना सीख गया मैं गम को पीना सीख गया मैं

इस दुनिया में श्रेष्ठ भावना यूं ही मर जाती है
सपनों की बगिया खिलने से पहले झड़ जाती है

कोई कोई बात शूल सी मुझे चुभा करती है
कोई कोई रात कत्ल की रात हुआ करती है

इन बातों को इन रातों को भूल नहीं पाता हूं
फिर भी ना जाने क्यों अक्सर चुप मैं रह जाता हूं

मैंने अक्षम लोगों को आगे बढ़ते देखा है
मैंने सक्षम लोगों को चुपके रोते देखा है

कितना बुरा लगा है जब भी सपना मेरा टूटा
छोटे-छोटे कौवो ने भी पनघट मेरा लूटा

जो कमियों के क्षीरसिंधु हैं मुझमें कमी गिनाते
खुद को ठीक नहीं कर पाते मुझे राह दिखलाते

ऐसे लोगों को ही अक्सर मैं प्रणाम करता हूं
उनको जिंदा रखता हरदम बस खुद ही मरता हूं

उपदेशों की भाषा देने वाले लोग बहुत हैं
जीवन की परिभाषा देने वाले लोग बहुत हैं

जिन लोगों ने मेरे ऊपर तीक्ष्ण बाण बरसाए
उन लोगों के आगे मैंने हंसकर इस झुकाए

खिले गुलों का मुरझा जाना इक सच्ची घटना है
बार बार ठोकर को खाना कड़वी दुर्घटना है

ऐसी घटनाओं से अक्सर मन मेरा रोया है
जिनको मैंने अपना माना उनको खोया है

मन की संवेदना छिपाकर जीना सीख गया मैं
हंसना सीख गया मैं गम को पीना सीख गया मैं ||
================================

रीतेश कुमार खरे “सत्य”
बरुआसागर झांसी

1 Like · 24 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
2449.पूर्णिका
2449.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
दिल का रोग
दिल का रोग
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
राख देख  शमशान  में, मनवा  करे सवाल।
राख देख शमशान में, मनवा करे सवाल।
दुष्यन्त 'बाबा'
मुफलिसों को जो भी हॅंसा पाया।
मुफलिसों को जो भी हॅंसा पाया।
सत्य कुमार प्रेमी
तिरंगा
तिरंगा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
अजीब है भारत के लोग,
अजीब है भारत के लोग,
जय लगन कुमार हैप्पी
वार्तालाप
वार्तालाप
Pratibha Pandey
मन मंदिर के कोने से
मन मंदिर के कोने से
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जी लगाकर ही सदा
जी लगाकर ही सदा
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जिंदगी एक आज है
जिंदगी एक आज है
Neeraj Agarwal
*वंदनीय सेना (घनाक्षरी : सिंह विलोकित छंद*
*वंदनीय सेना (घनाक्षरी : सिंह विलोकित छंद*
Ravi Prakash
" आज चाँदनी मुस्काई "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
अपने दिल की कोई जरा,
अपने दिल की कोई जरा,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
🙅समझ जाइए🙅
🙅समझ जाइए🙅
*Author प्रणय प्रभात*
पृथ्वी
पृथ्वी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मित्रता-दिवस
मित्रता-दिवस
Kanchan Khanna
* मुस्कुराने का समय *
* मुस्कुराने का समय *
surenderpal vaidya
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
प्रतिध्वनि
प्रतिध्वनि
पूर्वार्थ
पेशवा बाजीराव बल्लाल भट्ट
पेशवा बाजीराव बल्लाल भट्ट
Ajay Shekhavat
हे आदमी, क्यों समझदार होकर भी, नासमझी कर रहे हो?
हे आदमी, क्यों समझदार होकर भी, नासमझी कर रहे हो?
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*राज सारे दरमियाँ आज खोलूँ*
*राज सारे दरमियाँ आज खोलूँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"पते पर"
Dr. Kishan tandon kranti
शायरी 2
शायरी 2
SURYA PRAKASH SHARMA
*Max Towers in Sector 16B, Noida: A Premier Business Hub 9899920149*
*Max Towers in Sector 16B, Noida: A Premier Business Hub 9899920149*
Juhi Sulemani
मन से उतरे लोग दाग धब्बों की तरह होते हैं
मन से उतरे लोग दाग धब्बों की तरह होते हैं
ruby kumari
बेमेल शादी!
बेमेल शादी!
कविता झा ‘गीत’
ग़ज़ल/नज़्म/मुक्तक - बिन मौसम की बारिश में नहाना, अच्छा है क्या
ग़ज़ल/नज़्म/मुक्तक - बिन मौसम की बारिश में नहाना, अच्छा है क्या
अनिल कुमार
वो कहते हैं की आंसुओ को बहाया ना करो
वो कहते हैं की आंसुओ को बहाया ना करो
The_dk_poetry
Loading...