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6 Jul 2019 · 1 min read

सौदा

सौदा
——–

बिकता होगा कोई इंसान किसी कीमत पर यहां
नादां हैं मुझसे इंसानियत का सौदा करने आए हैं

कर ही न सके जो सौदा मेरे हुनर का कल तक
मुझसे वो फिर मेरे ज़मीर का सौदा करने आए हैं

भटकता रहता है इंसान लादे ख्वाहिशों की गठरी
मुझसे वो मेरी ख्वाहिशों का सौदा करने आए हैं

बाख़बर हैं यहां जिस्म तक बिकता है बाज़ार में
मायावी जहां में वो हर शै का सौदा करने आए हैं

बाख़बर हैं ये सौदागर ज़िंदगी में इंद्रधनुषी रंगों से
मुझसे वो ‘ सुधीर ‘ इन रंगों का सौदा करने आए हैं…..

— सुधीर केवलिया

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