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3 Jan 2024 · 1 min read

*लगता है अक्सर फँसे ,दुनिया में बेकार (कुंडलिया)*

लगता है अक्सर फँसे ,दुनिया में बेकार (कुंडलिया)
————————————————–
लगता है अक्सर फँसे ,दुनिया में बेकार
दुनिया बंधन एक है ,मरण-जन्म सब भार
मरण-जन्म सब भार ,बुलाता है नभ नीला
तारे चंदा श्वेत , दिव्य संगीत सुरीला
कहते रवि कविराय ,लोक यह मानो ठगता
बीते इतने साल , पराया फिर भी लगता
—————————————————
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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