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1 Oct 2023 · 1 min read

कुछ दर्द झलकते आँखों में,

कुछ दर्द झलकते आँखों में,
कुछ तीर-ए-जफा गहरे हैं हिय।
न जाने किसको ढूँढ रही,
लब की झूठी मुस्कान प्रिय।
नीलम शर्मा ✍️

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