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14 Nov 2023 · 1 min read

क्या खूब दिन थे

#बालदिवस_विशेष
#दिनांक:-14/11/2023
#विषय:- बचपन
#शीर्षक:- क्या खूब दिन थे

बड़ा मजा आता था बचपन में,
खलिहान हमारा घर हो जाता,
सुबह से लेकर रात तक,
मस्ती ही मस्ती सूझती!

धान की सटकाई,
पोरे की बँधाई,
आटा सारे बँध जाने पर,
पुआल का गाझा बनता!

शाम पहर धान के गट्ठर पर,
गोबर का पिण्ड रखा जाता,
सांझ के दीपक से,
अन्नपूर्णा को पूजा जाता!

खलिहानों में दोपहर में,
मजदूरनियों की चौपाल थी सजती,
खा पीकर, गप्पे मार और आराम कर
फिर काम में जुटती !

क्या खूब दिन थे बचपन के,
यादें खींच ले जाती फिर वहीं
पचपन से,
सब यादें आती हैं बारी-बारी
अब सब सपना बनकर रह गये,
नहीं रहे हमारे|

रचना मौलिक, अप्रकाशित, स्वरचित और सर्वाधिक सुरक्षित है |

प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई

Language: Hindi
1 Like · 163 Views
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