के.आर.परमाल 'मयंक' Language: Hindi 103 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next के.आर.परमाल 'मयंक' 12 Jan 2021 · 1 min read *ना करो ऐसा ओ कोरोना !! * *ना करो ऐसा, ओ कोरोना! करो ना!! * दहशत में बैठी है सब जनता, कहते-सुनते कुछ नहीं बनता! दहल रहा जग तेरे डर से, बार-बार है यही निवेदन! भीषण संहार... Hindi · कविता 2 4 279 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 11 Jan 2021 · 1 min read *कोरोना गजब ढा गया तू* ओ कोरोना ओ कोरोना, गजब ढा गया तू, सोचा था न कभी किसी ने, जगत छा गया तू ! चला चाइना चाल चुलबुली, मची विश्व में अजब खलबली ! हर... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 7 22 763 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 6 Dec 2020 · 1 min read ऐसा हो परिवार ऐसा हो परिवार जहाँ पर आदर और सम्मान हो| निर्मल, निश्छल, निष्कपट, नि:स्वारथ हर इंसान हो|| ऐसा हो परिवार जहाँ पर आदर और सम्मान हो| हर्ष, उमंग, उत्साही धारा, निशदिन... Hindi · कविता 1 1 371 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 3 Oct 2020 · 1 min read तस्दीक-ए-हिफ़ाज़त अरि दल भंजन कर सके, न कोई ऐसा वीर यहाँ। नारी के सम्मान की खातिर, आवाज बने शमशीर जहाँ। उठ चल स्वरक्षा कर बेटी , बचा शिवा सा वीर कहाँ।... Hindi · कविता 1 390 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 2 Oct 2020 · 1 min read अत्याचारी दौर निकल अकेली ना घर से बेटी, साया बाहर शैतानों का। जहाँ फूल झड़ते बातों में डेरा वहीं हैवानों का।। आज दरिंदे औरंगजेब से बदतर सोचें रखते हैं । अपनी हवस... Hindi · कविता 2 1 427 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 29 Sep 2020 · 1 min read कहाँ से चले आते हो दहक रहा संसार फिर क्यों नहीं जल जाते हो। जाने करने अत्याचार कहाँ से तुम चले आते हो।। माँ-बहन-बीबी और बच्चे सब अपने ही तो हैं। जाने फिर क्यों तुम... Hindi · कविता 1 248 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 21 Sep 2020 · 1 min read गुरूर मिट जाएगी रूह एक दिन मिट्टी में मिल जाएगी, शान-ए-शौक़त जागीर तेरी फ़क़त यहीं रह जाएगी, ग़ुरूर-ए-मिलकियत कब तलक आख़िर ये भी यहीं रह जाएगी। अता फरमाता है वक़्त, ख़ता... Hindi · कविता 250 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 20 Sep 2020 · 1 min read $ समरसता की चाह $ समरसता हो अगर देश में,जाति-पाँति का भेद नहीं। मिल जुलकर रहें किसी को हो किसी से बैर नहीं।। पा प्रज्ञान रविदास का, हम शत् प्रसून खिलाएँगे। ऊँच-नीच का भेद परन्तु,... Hindi · कविता 1 208 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 20 Aug 2020 · 1 min read कबहिं खुलेगा स्कूल..! कबहिं खुलेगा स्कूल,पापा कबहिं खुलेगा स्कूल..! अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋषि, ए.बी. सी. गया भूल....! पापा कबहिं ....! वन टू वाली मैडम जी का, चेहरा रहा न... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 289 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 17 Aug 2020 · 1 min read कहो कहाँ स्वतंत्र हूँ मैं!! उन्मुक्त हो मैं चल नहीं सकता, कहो कहाँ स्वतंत्र हूँ मैं! अपना कमाया खर्च नहीं सकता, कहो कहाँ स्वतंत्र हूँ मैं! हक सबका उत्पाद में मेरे, हक जता मैं नहीं... Hindi · कविता 7 6 220 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 10 Jun 2020 · 1 min read *वक्त की नज़ाकत* वक्त-वक्त का तकाजा है, पुराना तो कभी ज़ख्म ताजा है, हैरान है दुनिया वक्त की इस नज़ाकत से, टी बी, केंसर, हैजा, अब कोरोना से नवाजा है|| मुरीद फिर भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 300 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 6 Apr 2020 · 1 min read *नहीं कहीं भगवान रे* कोरोना ने तय कर दीन्हा, मानो बात इंसान रे! ये तो तय है मंदिर-मस्जिद,नहीं कहीं भगवान रे, सबसे पहले करलो तुम मानवता की पहचान रे ! पंच तत्व पृथ्वी, वायु,... Hindi · कविता 2 269 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 23 Mar 2020 · 1 min read *विज्ञान और मानव* उड़ रहे थे हम अपनी अहम नियत में, छानना चाहा समंदर क़ाबिलियत में! घुटने टिके विज्ञान तेरे एक झटके में, समेटकर रख दिया झट तूने मटके में! अब आलम है... Hindi · कविता 1 271 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 11 Mar 2020 · 1 min read *राजनैतिक तिबाहा* मध्यप्रदेश की राजनीति ने अजब-सा मोड़ लिया, मिला न हिस्सा जिन्हें, उन्होंने ऐसा सबक दिया। वर्षों की वफ़ा का सिलसिला चंद लम्हों में अदा किया, उम्मीद तनिक न थी जिनसे,... Hindi · कविता 237 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 8 Mar 2020 · 1 min read नारी १. वैसे तो दोनों की समाज में बराबरी। एक को पुरुष कहें दूसरी को हैं नारी। शक्ति-रूप नारी है सृष्टि-रूप है नारी। माँ-बहन-बेटी, बीबी का रूप है नारी। नारी न... Hindi · मुक्तक 1 1 316 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 5 Mar 2020 · 1 min read *मद्यमय मध्यप्रदेश* मधु-सी कोमल अंगों वाली, जब मधुशाला खोलेगी। मध्यप्रदेश 'मद्यप्रदेश' बनेगा, ढक्कन महिला तोड़ेगी।। न्यून था अत्याचार नारी, अब अति आचार बढ़ाएगी। करुण-प्रेम से ममतामयी, अब मदिरापान कराएगी।। मधुर-मधुर वाणी उसकी,... Hindi · कविता 1 1 257 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 3 Mar 2020 · 1 min read @प्रेम रंग की होली@ 1. मन से हटा बैर और द्वेष भावना को, दिल में एकता का भाव भर लीजिए। भूलकर रंजिशें, क्रोध, लोभ, ईर्ष्या, अहंकारी भावना का नाश कर दीजिए। मोंगर,... Hindi · मुक्तक 1 2 275 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 1 Mar 2020 · 1 min read दोगला पंथी रुक जाता हूँ चलते चलते, थम जाती हैं सांँसें। देख दोगला रूप जहां का,मुंद जाती हैं आँखें।। मखमल-सी कोमल वाणी है,और चमकता तेज। अंत: कुटिल कटारी रखते,काले-दिल-निस्तेज।। बहिर्मुखी उमंग लिए... Hindi · कविता 2 371 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 1 Mar 2020 · 1 min read *'जय गुरु देव* गुरु की दी हुई ज़िंदगी, सदा करुँ गुरु जी बंदगी। गुरु बिन बने न ज़िंदगी, गुरु नामे क्या शर्मिंदगी।। ग्यान ध्यान सम्मान गुरु से, गुरु जगत पहचान। मयंक गुरु गुण... Hindi · दोहा 1 477 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 1 Mar 2020 · 1 min read 'एक ठान मुक़म्मली' कोशिशें बेहिसाब कीं मुक़म्मल करने की, ज़िन्दगी तेरा हिसाब ज़रा उलझा है। दे जाती तू मायूसी हर वक़्त गैरों की तरह, मुझे तक़दीर तूने जाने क्या समझा है। चल ठन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 228 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 6 Feb 2020 · 1 min read *आसमान से ऊँची बेटियाँ* पिता का अंतर्नोद होती हैं बेटियाँ, माँ की हरी-भरी गोद होती हैं बेटियाँ! हिमालय से ऊँची, संसार से विशाल, समुद्र से भी गहरी होती हैं बेटियाँ! आसमान से ऊँची, सूरज... Hindi · कविता 184 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 12 Jan 2020 · 1 min read लोहड़ी,पोंगल (मकर-सक्रांति) उत्तरायण जब सूरज आये, ठंडी लहर थर-थर थर्राए! हर्षोल्लासमय पतंग उड़ाएँ, मकर-सक्रांति का पर्व मनाएँ! यह सुसंकेत नई फसल का है, सब समस्याओं के हल का है, आओ मिलके खुशियाँ... Hindi · कविता 4 455 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 4 Jan 2020 · 1 min read परिवर्तन की आस नववर्षी शुभकामना में, सबसे मुझको कहना है! देश-समाज सुसमृद्धि हेतु, सुन्दर छविमय बने ये सेतु, जाति-पाँति की तोड़ दीवारें, मिलकर सबको रहना है! नूतनवर्षी शुभकामना में, सबको संदेश ये देना... Hindi · कविता 1 2 378 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 14 Dec 2019 · 1 min read *बेटी का संदेश* जब धरा न होगी दुनिया में, अंकुर कहाँ उग पाएगा! जब बेटी ही न होगी जग में, तो बेटा कहाँ से आएगा!! जब दिनकर ही न उग पाया, तो दिवस... Hindi · कविता 439 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 7 Dec 2019 · 1 min read 'धिक्कार पौरुषाई पर' जब कूक उठी तब मीठी थी, क्यों हूक उठी अब कर्कश है। है बेटी क्या ये जगती वालो, कोई खेल तमाशा सर्कस है ? जब चाहा तब अपमान किया, इच्छा... Hindi · कविता 312 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 5 Dec 2019 · 1 min read 'नेता जी बचालो देश को' नेता जी बचालो देश को, अब घूमो ना परदेश को। अर्थव्यवस्था की डूबी लुटिया, लाचार हो रही घर की बिटिया। अनभिज्ञ नहीं तुम सच्चाई से, मान लो भीषण संदेश को।... Hindi · कविता 2 416 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 4 Dec 2019 · 1 min read 'आडम्बर' रुक जाता हूँ चलते चलते, थम जाती हैं सांँसें। देख दोगला रूप जहां का, मुंद जाती हैं आँखें।। मखमल-सी कोमल वाणी है, और चमकता तेज। अंत: कुटिल कटारी रखते, काले-दिल-निस्तेज।।... Hindi · कविता 397 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 3 Dec 2019 · 1 min read *अर्द्धांगिनी* मेरे दिल की अंतरंग तरंग हो तुम, दूर रहकर भी मेरे संग-संग हो तुम। भूल जाता हूँ सारी दुनिया तुम्हें पाकर, मेरे जीवन का अभिन्न अंग हो तुम। नहीं कहते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 543 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 23 Nov 2019 · 1 min read हालात मेरे देश के हालात मेरे देश के खराब हो गए, अंगूर थे ये पहले अब शराब हो गए। जब तलक थे बेल में, चैन था इन्हें। तोड़ दिया बेरहमी से, चाहिन्दों ने, चाहने... Hindi · मुक्तक 213 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 17 Nov 2019 · 1 min read 'हौसले की ओर' टूटते शाखों से पत्ते, पतझड़ का संदेश है। आएगी फिर बहार, यह प्रकृति का वेश है। न हो दुःखी कोई दिल हल्का करके 'मयंक', मौसम बनते बिगड़ते हैं यहाँ,ये भारत... Hindi · कविता 223 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 14 Nov 2019 · 1 min read 'परहित पर परतीति' जल गईं तीलियां सारी, चिंगारी भी न रही, बन गए रिश्ते बेसक, कोई दूरी भी न रही। अवगुण ही हों किसी में ये हो नहीं सकता, गुण खोजने की मुझमें... Hindi · कविता 2 321 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 13 Nov 2019 · 1 min read @'बाल दिवस'@ तुम्हीं चन्द्रमा,तुम्हीं हो सूरज तुम ही पवन सितारे हो । तुम्हीं समय, सुरक्षा प्यारे भाग्य विधाता हमारे हो । तुम्हीं देश और वेश तुम्हीं हो, तुम ही प्रान्त हमारे हो... Hindi · कविता 430 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 12 Nov 2019 · 1 min read *टूटे ख्वाबों की तसवीर* टूटे हुए ख्वाबों की तसवीर बनाई है मैंने, ग़मों में मुस्कराने की तासीर बनाई है मैंने। भरा है सैलाब इन बेजुबान आँखों में, जिसे छुपाने की तदवीर बनाई है मैंने... Hindi · कविता 1 424 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 12 Nov 2019 · 1 min read *क्वाँरा दिल* 1. थे अरमान दिल के जमीं पर उतरकर, कारवाँ मोहब्बत संग-दिल बनाएँगे। महबूब की तंग-गलियों से गुजरकर, जमीं-आसमां दो दिलों से मिलाएँगे। देगा ना ग़र ये ज़माना इज़ाज़त, कसम-ए-मुहब्बत तोड़... Hindi · मुक्तक 1 327 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 27 Oct 2019 · 1 min read "शुभ दीपावली" आओ सब मिल मनाएँ हम दीवाली, कोई घर न रहे अब खाली! आओ सब मिल दीप जलाएँ, खुशियों में सब घुल-मिल जाएँ! बैर-भाव सब भूल-भालकर, एक-दूजे के घर-घर जाकर! बाँटें... Hindi · कविता 1 455 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 22 Oct 2019 · 1 min read 'मैं निकला बेचने देश को' झटपट बदला वेष को, त्याग स्व परिवेश को! श्वेत जामा पहनकर मैं, निकला बेचने देश को!! समझ न पायी जनता जुमले भड़कावे में आई, पाँचों उँगली घी में अपनी,मथनी हाथ... Hindi · कविता 1 269 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 19 Oct 2019 · 1 min read @माँ! तुम नहीं हो@ दरिद्रता-दीन-दुर्दिन बीत गये सारे, पर माँ! तुम नहीं हो, मिलती भरपेट रोटियाँ साँझ-सकारे पर माँ! तुम नहीं हो! करते हैं प्यार अपार ये संसार वाले, पर माँ! तुम नहीं हो,... Hindi · कविता 1 441 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 17 Oct 2019 · 1 min read @इत्रों की खुशबू मंद पड़ गई@ सारे इत्रों की खुशबू आज मंद पड़ गई । धरती अतुलित जलमय हो गई, सृष्टि अनंत आनंदमय हो गई, मिट्टी भई प्रसन्न आज गंध बढ़ गई ।। सराबोर नदियाँ और... Hindi · कविता 1 371 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 15 Oct 2019 · 1 min read *बेसुध सियासत* सोफा गद्दीदार गद्दारों को नींद बहुत आती है, घर में बिलख रही माँ, सियासत खिलखिलाती है। उजड़ रही है मांग किसी की गोद उजड़ रही, उजड़ा बहन का प्यार वो... Hindi · कविता 1 200 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 13 Oct 2019 · 1 min read ' सच्चाई गाँव की' यही है सच्चाई मेरे गाँव की मानो, यही है सच्चाई मेरे गाँव की! बाहर-बाहर, भाई-भाई, अंदर-अंदर, कैंची लगाई! रेवड़ियाँ - सी बाँट रहे हैं, अपने-अपने छाँट रहे हैं! चिंता है... Hindi · कविता 1 185 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 9 Oct 2019 · 1 min read *गुरु वेदना* *आज गुरु की गरिमा, तार-तार हो गई। * गुरु और शिष्य में तकरार हो गई। झूठ की सच पर इस तरह मार हो गई, *'गुरु कुम्हार शिष्य कुंंभ'* की युक्ति... Hindi · कविता 1 601 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 9 Oct 2019 · 1 min read *विरह की शमा में* तुम्हारे विरह की श़मा में जल रहा हूँ, तुम्हारी यादों के संग-संग चल रहा हूँ ! ख़लने लगा हूँ अब तो दोस्तों को अपने, वे सोचते हैं कि मैं बेढंग... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 225 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 7 Oct 2019 · 1 min read 'धरती पुत्र किसान' न धूप कभी विचलित करती, न छाँह कभी आलस भरती। संतोष सदा गहना जिसका, वह देशरत्न कोई और नहीं। वह धरती-पुत्र किसान है। चाहे अतुलित बरसातें हों, सूखे का प्रचण्ड... Hindi · कविता 2 916 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 5 Oct 2019 · 1 min read माटी के सपूत हे माटी के सपूत! तुम्हें शत-शत नमन, बंजर पड़ी धरा भी तुम बना देते चमन। बाजुओं में जमाने की ताक़त है तुम्हारे । तुम पर ही आश्रित हैं शहर-गांव हमारे... Hindi · कविता 3 604 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 2 Oct 2019 · 1 min read मुझे नज़र आता है बेटी ! मुझे नज़र आता है बेटी, तुझमें सब संसार। तू शीतल चंदन-सी खुशबू,तू रमणीक बहार।। गर्जन-तर्जन तू बादल-सी,तू बिजली-सा तार। सूरज-सी आभा है तुझमें, शीतलता चंदा-सी। निर्मल गंगा-सी पावन, तू पृथ्वी-सा... Hindi · कविता 2 213 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 2 Oct 2019 · 1 min read *मैं ऐसा देश बनाऊँगा* "मैं ऐसा देश बनाऊँगा" जहाँ प्रेम रहे और समता हो, जहाँ हर मानव में ममता हो , बसती जन-जन मानवता हो। मैं ऐसा वतन बनाऊँगा । मैं ऐसा देश बनाऊँगा।... Hindi · कविता 1 452 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 29 Sep 2019 · 1 min read 'मोड़ दो रुख' मोड़ दो रुख हवाओं का गर बाधा बन बहने लगें। फूँक दो मंत्र कानों में लबों पर शब्द बहने लगें। झुकें न वे जो झुकते हैं थकें न वे जो... Hindi · कविता 1 383 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 28 Sep 2019 · 1 min read 'केसह पताका' वन्दे मातरम् बोलो वन्दे मातरम्, देश हमारा हिंदुस्तान, बसती इसमें अपनी जान। बोलो वन्दे....... 'केसह' रंग पताका इसकी सदा बढ़ाये शान। इसको फहराने की ख़ातिर, हुए कई बलिदान । बोलो... Hindi · कविता 1 212 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 28 Sep 2019 · 1 min read 'बेटी' बेटी कुल का चाँद बनेगी, बेटी सुर का तार। उज्ज्वल दीपक बनेगी बेटी, चमकेगा घर -द्वार । गगन गरजना बनेगी बेटी, पृथ्वी-सा आधार । सूरज-सा तेज़ बनेगी बेटी, सरिता-सी निर्मल... Hindi · कविता 1 224 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 26 Sep 2019 · 1 min read 'मलिनता का प्रहार' हो क्या गया जाने निगोड़े समाज को, ताक में रख दी है सारी लोक लाज को। अब शिक्षा - मंदिर भी बचे न सुपावन, देख यूँ हृदय रोये, बरसे ज्यों... Hindi · कविता 1 216 Share Previous Page 2 Next