Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Dec 2019 · 1 min read

‘धिक्कार पौरुषाई पर’

जब कूक उठी तब मीठी थी, क्यों हूक उठी अब कर्कश है।
है बेटी क्या ये जगती वालो, कोई खेल तमाशा सर्कस है ?

जब चाहा तब अपमान किया, इच्छा अनुरूप व्यवहार किया।
मिट्टी का खिलौना समझ इसे, झट खेल-तोड़कर फेंक दिया।

क्यों भूल रहे निर्लज्ज तुम्हारी, माता, बहन और पत्नी है ये।
संस्कार अदाग व प्यार अपार, दहलीज चरित्र घर बार है ये।

बन क्रूर-हत्यारे अत्याचारी, ना नर, नारी का अपमान करो।
पावन-पुनीत निर्मल हैं रिश्ते, निर्ममता कर न बेकार करो।

‘बेटी बचाओ’ नारा था जुमला, बस मत पाना आकाओं की,
माचिस की डिबिया थी खाली, न आस कोई शलाकाओं की।

धिक्कार तुम्हारे कुमानस को, धिक्कार तुम्हारी पौरुषाई पर।
कायर दुदुम्भी क़ातिल हो तुम, धिक्कार ‘मयंक’आतताई पर।

Language: Hindi
308 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
श्रेष्ठ भावना
श्रेष्ठ भावना
Raju Gajbhiye
भरत मिलाप
भरत मिलाप
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
The World on a Crossroad: Analysing the Pros and Cons of a Potential Superpower Conflict
The World on a Crossroad: Analysing the Pros and Cons of a Potential Superpower Conflict
Shyam Sundar Subramanian
गाँव सहर मे कोन तीत कोन मीठ! / MUSAFIR BAITHA
गाँव सहर मे कोन तीत कोन मीठ! / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
खिल उठेगा जब बसंत गीत गाने आयेंगे
खिल उठेगा जब बसंत गीत गाने आयेंगे
Er. Sanjay Shrivastava
2548.पूर्णिका
2548.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
यहा हर इंसान दो चहरे लिए होता है,
यहा हर इंसान दो चहरे लिए होता है,
Happy sunshine Soni
सृजन और पीड़ा
सृजन और पीड़ा
Shweta Soni
कभी हुनर नहीं खिलता
कभी हुनर नहीं खिलता
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मईया एक सहारा
मईया एक सहारा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दोहा -स्वागत
दोहा -स्वागत
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मनुष्य तुम हर बार होगे
मनुष्य तुम हर बार होगे
Harish Chandra Pande
★याद न जाए बीते दिनों की★
★याद न जाए बीते दिनों की★
*Author प्रणय प्रभात*
"ढाई अक्षर प्रेम के"
Ekta chitrangini
पापा
पापा
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
पिता
पिता
Dr.Priya Soni Khare
*चिपकाते पोस्टर दिखे, दल-प्रत्याशी-लोग (कुंडलिया)*
*चिपकाते पोस्टर दिखे, दल-प्रत्याशी-लोग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
उपेक्षित फूल
उपेक्षित फूल
SATPAL CHAUHAN
अब किसी से कोई शिकायत नही रही
अब किसी से कोई शिकायत नही रही
ruby kumari
"बगैर तुलना के"
Dr. Kishan tandon kranti
कविता -नैराश्य और मैं
कविता -नैराश्य और मैं
Dr Tabassum Jahan
धैर्य के साथ अगर मन में संतोष का भाव हो तो भीड़ में भी आपके
धैर्य के साथ अगर मन में संतोष का भाव हो तो भीड़ में भी आपके
Paras Nath Jha
चलती है जिंदगी
चलती है जिंदगी
डॉ. शिव लहरी
मांँ
मांँ
Neelam Sharma
यादों को दिल से मिटाने लगा है वो आजकल
यादों को दिल से मिटाने लगा है वो आजकल
कृष्णकांत गुर्जर
जीभर न मिलीं रोटियाँ, हमको तो दो जून
जीभर न मिलीं रोटियाँ, हमको तो दो जून
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अभी कैसे हिम्मत हार जाऊं मैं ,
अभी कैसे हिम्मत हार जाऊं मैं ,
शेखर सिंह
सब तो उधार का
सब तो उधार का
Jitendra kumar
धूल के फूल
धूल के फूल
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
कोई तो रोशनी का संदेशा दे,
कोई तो रोशनी का संदेशा दे,
manjula chauhan
Loading...