@प्रेम रंग की होली@
1.
मन से हटा बैर और द्वेष भावना को,
दिल में एकता का भाव भर लीजिए।
भूलकर रंजिशें, क्रोध, लोभ, ईर्ष्या,
अहंकारी भावना का नाश कर दीजिए।
मोंगर, चमेली और टेशु अलबेलों से,
सतरंगी हथेली अब दोनों कर लीजिए ।
रंग-बिरंगी चितरंगी गुलालों से,
प्रेम-अंतरंगी चुनर रंग दीजिए ।
प्रेम से न श्रेष्ठ कोई और रंग चोखा है,
न सही प्रेम, शत्रुता तो मत कीजिए।
ऊँच-नीच जात-पाँत भेद हैं बढ़ाते सब,
जातिवाद से ‘मयंक’ तौबा कर लीजिए।
2.
चलो मनाएँ होलियाँ अंतरंग सजायें,
बेसहारा मज़लूमों को दिल से गले लगायें।
घर उनके गुजिया बन पाये,
उनका भी दिल खिल जाये,
चोखा प्रेम यूँ रंग लगायें।
चलो मनाएँ होलियाँ अंतरंग सजायें।
महज लक्कड़ फूँक देना,
सहज वाहवाही लूट लेना,
बातों की न जंग लड़ायें।
चलो मनाएँ होलियाँ अंतरंग सजायें।