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19 Dec 2016 · 1 min read

तू हवा है तेरी मैं हिफाजत नहीं कर पाऊँगा

तू हवा है तेरी मैं हिफाजत नहीं कर पाऊँगा
तू चली छोड़ मैं रूखसत नही कर पाऊँगा

जिन्दगी में है ओर भी चाह रखने वाले मुझसे
आपसे मुहब्बत की हिमाकत नही कर पाऊँगा

जो सजी हो डोली तेरी दूसरे जहाँ जाने के लिए
साथ निभाने की पूरी हसरत नहीं कर पाऊँगा

खूब इज्जत बख्शी पूरा करने को ख्वाहिश
तेरी खुशी की मैं खिलाफत नही कर पाऊँगा

तू खिला हुआ गुलदस्ता है अपने इस चमन का
बागवाँ से तोड़ने की मैं शरारत नही कर पाऊँगा

एक नया जहाँ बसायेंगी तू यहाँ से हो विदा
मैं तेरे लिए हुस्न की इबादत नही कर पाऊँगा

याद आयेगी लोट आने की बाबुल के घर जब
तुझको ना लाने की वकालत नहीं कर पाऊँगा

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