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19 Jan 2025 · 1 min read

धरती सा मैं अम्बर सी तुम।

ये जान के की मुझे प्रेम है तुमसे,
ना होना तुम हैरान,

मैं तो हूं बस नाम का अम्बर,
तुम हो सच में एक आसमान,

चाहत करूं तुम्हें पाने की,
नहीं ऐसा भी मैं नादान,

कोयले सा मैं हीरे सी तुम,
बस यही है अपनी पहचान,

“धरती सा मैं अम्बर सी तुम”,
कि हम में कुछ भी नहीं समान,

इस जन्म में बस ये दुआ है मेरी,
हर खुशी से सजा हो तुम्हारा जहान।

कवि-अम्बर श्रीवास्तव।

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