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11 Jul 2025 · 1 min read

हौसलों की उड़ान हो,

हौसलों की उड़ान हो,
या मंज़िलों की पहचान हो,
रास्ते कितने भी कठिन हों,
अगर जज़्बा हो
तो आसमान भी आसान हो।

ठोकरें लगें, तो गिरो मत तुम,
हर दर्द को अपनी ताकत समझो तुम।
रात चाहे जितनी भी काली हो,
सुबह की पहली किरण उजाली हो।

थक कर बैठ जाना मंज़ूर नहीं,
जो रुक जाए, वो सफ़र नहीं।
चलना है तो फिर रुकना कैसा?
सपनों के पीछे झुकना कैसा?

जो जलते हैं, वही तो दीपक कहलाते हैं,
अंधेरों में जो चमकें, वही सितारे बन जाते हैं।
छोटे हैं तो क्या हुआ, सोच बड़ी रखो,
समंदर को भी अपनी मुट्ठी में भरने की ललक रखो।

हर दिन एक नई शुरुआत है,
हर पल में छिपी एक बात है।
हार मानना नहीं, रुकना नहीं,

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