*कभी भी हार मत मानना*

सपने कभी न तोड़ना ख़ुद के
थोड़ी और मेहनत कर लेना
दिल में जो भी हैं हसरते तेरे
तुम वो ज़रूर पूरी कर लेना।
रास्ते मुश्किल होंगे मगर
हौसले कभी कम मत करना
थोड़ी धूप सह लेना चुपचाप
छांव की तलाश मत करना।
अंधेरों से जो डर जाए
वो रौशनी कहां खोज पाएगा?
जो हर मोड़ पर लड़े अकेला
वो ही तो मंज़िल तक जाएगा।
हर गिरावट एक सबक है
हर ठोकर एक इशारा
कि उठो फिर से, न थको कभी
ये ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा।
कभी लगे कि थक गए हो तुम
तो थोड़ा सा रुक जाना
पर रुक कर फिर चल देना
कभी भी हार मत मानना।
लोग कहेंगे, रुक जा अब
तेरे बस की बात नहीं
मुस्कुराकर कह देना तुम
मंज़िल को छोड़ना मेरी आदत नहीं।
तू अपनी सोच से आगे बढ़
दुनिया क्या कहती है छोड़ तू
तू अपने दिल की सुन अब
अपने सपनों की ज़िद पे अड़ तू।
तू जिस राह पर निकला है
उस पर कांटे भी मिलेंगे
पर हौसलों से बढ़ेगा जब आगे
तो फूल भी वहीं खिलेंगे।
थकावट को भी अपना साथी
और आँसुओं को पानी बना
चारों तरफ़ से हो निगाहें तुम्हारी तरफ़
तू ख़ुद को ऐसा सानी बना।
हर सुबह तेरा इंतज़ार करे
नई उम्मीदों के साथ
तू बस चल, न थम अब
चाहे जितनी हो अंधेरी रात।
कोशिशें होंगी नाकाम कई
पर तू हिम्मत कभी न हारना
तू ही अपनी पहचान बने
बस इतनी सी बात, जानना।
सपनों की जो लगन है तुझमें
वो चिंगारी कभी न बुझने देना
जब भी लगे बुझ रही है लौ
तू फिर खुद को थोड़ा जला देना।
जब मंज़िल पास नज़र आए
तब तू अपनी रफ़्तार और बढ़ा देना
जीत का स्वाद है मीठा बहुत
बस इसके लिए थोड़ी तकलीफ़ सह लेना।