Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
23 Apr 2025 · 1 min read

हमसफर के साथ हम सफर करना चाहते थे,

हमसफर के साथ हम सफर करना चाहते थे,
निकले थे एक लंबा रास्ता तय करके
न जाने ऐसा क्या हो गया , पल भर में सब बिखर गया
सोचा ओ नाराज हैं, हम मना लेंगे उन्हें खुद से
कम्बक्त कर मुमकिन कोशिश के बाद पता चला कि ओ परेशान हमसे
जिस सफर पर, जिसके लिए , सब गंवा कर निकले थे हम
उन्होंने तो रास्ता अलग कर, हाथ में मेरे दे दिया ग़म
क्या करे इश्क़ किया है तो निभाएंगे, उनके साथ नहीं तो क्या हुआ , उनके ग़म के सहारे ही सही।

Loading...