*क्यों होता भयभीत है*

क्यों होता भयभीत है, जब डर के आगे जीत है।
ये जीवन है आना-जाना, नहीं रहेगा सदा ठिकाना।
सुख-दुख जीवन के दो पहलू, लगा रहेगा इनका आना।
अपने बल पर नाम कमाओ, फिर खुश दिखे मनप्रीत है।
क्यों होता भयभीत है, जब डर के आगे जीत है।।१।।
नहीं बनो तुम कायर, न पीठ कभी दिखानी है।
कुछ करना सको जिसमें, ऐसी व्यर्थ जवानी है।
यह दुनिया उगते पर ही गान करें, यही तेरा संगीत है।
क्यों होता भयभीत है, जब डर के आगे जीत है।।२।।
गर चमकना चाहते हो तुम, पहले तपना तुम सीखो।
पा लोगे तुम चांँद सितारे, लोगों को कुछ कम दिखो।
मेहनत से मिलेगा सब कुछ, यही जीवन की रीत है।
क्यों होता भयभीत है, जब डर के आगे जीत है।।३।।
निरंतर बढूंँगा मैं आगे को, ये तुम मन में ठान लो।
दोहरा नकाब जो रखे हैं, उनको तुम पहचान लो।
जब सफलता मचाएगी शोर, बजेगा सुंदर गीत है।
क्यों होता भयभीत है, जब डर के आगे जीत है।।४।।
दुनिया क्या कहेगी, यह सुनना छोड़ दो तुम।
रुक अपनी बाहों से, हवा का मोड़ दो तुम।
दुष्यन्त कुमार रुकेगा नहीं, जब चलने में जीत है।
क्यों होता भयभीत है, जब डर के आगे जीत है।।५।।