आखिर किस बात की रार है तुममें
आखिर किस बात की रार है तुममें
कोई विरोधी अखबार है तुममें
मैं जो कहता हूँ.. तुम उसके उलट सुनते हो
शायद विपरीत सरकार है तुममें
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
आखिर किस बात की रार है तुममें
कोई विरोधी अखबार है तुममें
मैं जो कहता हूँ.. तुम उसके उलट सुनते हो
शायद विपरीत सरकार है तुममें
-सिद्धार्थ गोरखपुरी