प्रकटे रामलला जन मन में,सजे हुए माता के द्वार

प्रकटे रामलला जन मन में,सजे हुए माता के द्वार
झूम उठीं खेतों में बालियां, फूलों से लदे हुए कचनार
नहीं शीत न घाम,धरा भी बांट रही नाना उपहार
लाल हुए सैमल पलाश, सुगंधित शीतल मंद बयार
अमबा बौराए बागों में,कोयल मीठी करे पुकार
चैत मास ने किया धरा का,पोर पोर भर दिया श्रंगार
रंग बिरंगे पुष्पों ने, पहना दिया गले में हार
गेहूं चना सरसों मसूर , घर घर आने को तैयार
समृद्धि देता चैतन्य चैत्र, अनुरागी नूतन उपहार
प्रकटे रामलला जन मन में,सजे हुए माता के द्वार
मन मोहक आभा से धरती,बांट रही है प्यार ही प्यार
नव पल्लव नव सृष्टि, प्रकटोउत्सव का है त्यौहार
सभी को जय सियाराम जी 🙏🙏 बहुत बहुत बधाई शुभकामनाएं 🎉🎉🎉
सुरेश कुमार चतुर्वेदी