इन आँखों में रौशन रौशन कोई ख्वाब झलकता है,

इन आँखों में रौशन रौशन कोई ख्वाब झलकता है,
इन बातों में देखो जैसे कोई राज़ खटकता है
लहजे में एक जुस्तुजू, सीने में बेचैनी सी है,
मेरा ग़म तो मेरा है, तू क्यों महताब सिसकता है?
इन कूचों में काम तिरा क्या, इन गलियों से क्या रिश्ता,
पागल पागल आवारा सा क्यों बे नाम भटकता है