” प्रार्थना “

• हे उमापति, सुन लो विनती,हृदय से बुलाया करते हैं
इंसान न रहना चाहे जहां
दिन रात सताया करते हैं
पल-पल टूटते अरमान जहां
उस बस्ती में हम रहते हैं
• हे उमापति, सुन लो विनती,हृदयसे बुलाया करते हैं
हैं बली बने लाचार जहां
चुप-चाप बिताया करते हैं
मासूम से लगते चेहरे भी
तूफान मचाया करते हैं
• हे उमापति,सुन लो विनती हृदय से बुलाया करते हैं
तिनका-तिनका उजड़ा है जहां
वहां न्याय की बातें करते हैं
अंधेरे हैं, पहरेदार जहां
प्रकाश न आया करते हैं
• हे उमापति,सुन लो विनती हृदय से बुलाया करते हैं
नहीं चैन से सोते हैं लोग जहां
भाविष्य डराया करते हैं
अपनों की सतातीं हैं, यादें सदा
आंखों को रूलाया करते हैं
• हे उमापति,सुन लो विनती,हृदय से बुलाया करते हैं
“चुन्नू”बंदी सभी मिलकर के जहां
अरदास लगाया करते हैं
मेरी नाव फंसी मझ़धार ‘प्रभु’
बस पार लगाया करते हैं
• हे उमापति,सुन लो विनती,हृदय से बुलाया करते हैं
•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता – मऊ (उ.प्र.)