उलजी सुलजी डोरी से, नारी को लड़ते देखा

उलजी सुलजी डोरी से, नारी को लड़ते देखा
रिश्तें की मरियादा भी, नारी को तोड़ते देखा
कामुकता की आग मिटाने आशिक के संघ
अपने ही हाथों पति के पते पते करते देखा। ।
अनिल चौबीसा 9829246588
उलजी सुलजी डोरी से, नारी को लड़ते देखा
रिश्तें की मरियादा भी, नारी को तोड़ते देखा
कामुकता की आग मिटाने आशिक के संघ
अपने ही हाथों पति के पते पते करते देखा। ।
अनिल चौबीसा 9829246588