Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Feb 2024 · 1 min read

इंसान ऐसा ही होता है

इंसान इतना ख़ुदग़र्ज़ है
कि ताली एक हाथ से बजा सकता
तो अपने दूसरे हाथ को
बहुत आसानी से नकार देता ,

इसकी फितरत तो देखो
बस उगते सूरज को प्रणाम करो ये कहता
लेकिन मतलब साधते वक्त
डूबते सूरज को भी अर्घ है देता ,

मौकापरस्त तो कमाल का है
अपना काम निकालने के लिए
साम-दाम-दंड-भेद को साथ ले
उसकी भनक उस मौके को भी नहीं लगने देता ,

चालाकी से इतना भरा है
अपनी सारी की सारी धूर्तता
सीधी सादी बेजुबान बेचारी
लोमड़ी के सर है मढ़ देता ,

दिमाग देखिए इसका
ख़ुद तो वफ़ादार हो नहीं सकता
अपनी दिलदारी दिखाकर
कुत्ते को वफ़ादारी का जिम्मा है देता ,

इस इंसान को कभी भी
कोई मात नहीं दे सकता
ये ख़ुद से ही ख़ुद को
रिश्ते-दोस्ती की आड़ में है मात देता ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा )

218 Views
Books from Mamta Singh Devaa
View all

You may also like these posts

*थोड़ा समय नजदीक के हम, पुस्तकालय रोज जाऍं (गीत)*
*थोड़ा समय नजदीक के हम, पुस्तकालय रोज जाऍं (गीत)*
Ravi Prakash
मै ज़िन्दगी के उस दौर से गुज़र रहा हूँ जहाँ मेरे हालात और मै
मै ज़िन्दगी के उस दौर से गुज़र रहा हूँ जहाँ मेरे हालात और मै
पूर्वार्थ
ये जिन्दगी तुम्हारी
ये जिन्दगी तुम्हारी
VINOD CHAUHAN
समय को व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए, कुछ समय शोध में और कुछ समय
समय को व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए, कुछ समय शोध में और कुछ समय
Ravikesh Jha
मैं तुम्हारे बारे में नहीं सोचूँ,
मैं तुम्हारे बारे में नहीं सोचूँ,
Chaahat
हर पल
हर पल
Davina Amar Thakral
"पवित्र पौधा"
Dr. Kishan tandon kranti
समय की धार !
समय की धार !
सोबन सिंह रावत
हिंदी लेखक
हिंदी लेखक
Shashi Mahajan
अगर मध्यस्थता हनुमान (परमार्थी) की हो तो बंदर (बाली)और दनुज
अगर मध्यस्थता हनुमान (परमार्थी) की हो तो बंदर (बाली)और दनुज
Sanjay ' शून्य'
जरूरी और जरूरत
जरूरी और जरूरत
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
बेटियों को मुस्कुराने दिया करो
बेटियों को मुस्कुराने दिया करो
Shweta Soni
ज़माने की नजर में बहुत
ज़माने की नजर में बहुत
शिव प्रताप लोधी
लहज़ा रख कर नर्म परिंदे..!!
लहज़ा रख कर नर्म परिंदे..!!
पंकज परिंदा
छिपी हो जिसमें सजग संवेदना।
छिपी हो जिसमें सजग संवेदना।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
मसान।
मसान।
Manisha Manjari
4799.*पूर्णिका*
4799.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरी हर अध्याय तुमसे ही
मेरी हर अध्याय तुमसे ही
Krishna Manshi
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
तन्हा -तन्हा
तन्हा -तन्हा
Surinder blackpen
ईमानदारी का इतिहास बनाना है
ईमानदारी का इतिहास बनाना है
Sudhir srivastava
परिंदे भी वफ़ा की तलाश में फिरते हैं,
परिंदे भी वफ़ा की तलाश में फिरते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
क्षणिका
क्षणिका
sushil sarna
कड़वा सच
कड़वा सच
Jogendar singh
जिस दिन राम हृदय आएंगे
जिस दिन राम हृदय आएंगे
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
रिश्ते प्यार के
रिश्ते प्यार के
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
बुंदेली चौकड़िया- पानी
बुंदेली चौकड़िया- पानी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
#शून्य कलिप्रतिभा रचती है
#शून्य कलिप्रतिभा रचती है
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
जनहित में अगर उसका, कुछ काम नहीं होता।
जनहित में अगर उसका, कुछ काम नहीं होता।
सत्य कुमार प्रेमी
..
..
*प्रणय*
Loading...