थोड़े से शब्दों में

थोड़े से शब्दों में
कविता
अपनी बात कहती है
नज़रअंदाज़ करके
क्या फाइदा
उसके उर में
सदा आग जलती है !!
@ डॉ लक्ष्मण झा परिमल
थोड़े से शब्दों में
कविता
अपनी बात कहती है
नज़रअंदाज़ करके
क्या फाइदा
उसके उर में
सदा आग जलती है !!
@ डॉ लक्ष्मण झा परिमल