कब तक हिन्दू सोयेगा
कब तक बंद रखेगा आंखे कब तक यूँही सोयेगा ।
एकदिन हिन्दू रोयेगा फिर एकदिन हिन्दू रोयेगा ॥
आज विश्व के हर कोने मे तू प्रताड़ित होयेगा ।
जो अपने घर मे लड़ ना सके वो बाहर सब कुछ खोयेगा ॥
कब तक हिन्दू सोयेगा अब कब तक हिन्दू सोयेगा ।
PFI और वक्फ बोर्ड के साये मे तू सोयेगा ॥
आँख खोल और देख रे हिन्दू बाद मे तू फिर रोयेगा ।
कहने को तू खुश रहता है अन्दर सब कुछ खोयेगा ॥
हिन्द से बटकर हिन्द कटा और अखंड रूप को खोया है ।
बटे हिन्द मे हिन्दू कटा और अस्तित्व भी अपना खोया है ॥
पाक बटा अफगान बटा फिर बंग्लादेश को देखा है।
हिन्दू कैसे खत्म हुआ ये खुली आँख से देखा है ॥
फिर हिन्द के अन्दर हिन्द बटा कश्मीर को हमने देखा है ।
केरल को हमने देखा है और बंगाल को हमने देखा है ॥
असम तो निकला हाथ से अपने फिर खिला कमल भी देखा है।
रूप जो देखा असम का हमने फिर भगवा रंग भी देखा है ॥
टूटते मंदिर देखे है और इस्लाम को हमने देखा है।
इस्लाम के नाम पे देश बटा फिर इस्लाम को बठते देखा है ॥
फुलवारीशरीफ का रूप देखकर इस्लाम को भी तो देखा है।
धर्म के नाम पे देश बटा फिर गजवा ए हिन्द को देखा है ॥
सोता हिन्दू देखा है और रोता हिन्दू देखा है ।
आन पड़ी जो जान पे इसके फिर भगता हिन्दू देखा है ॥
ललकार भारद्वाज