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25 Apr 2024 · 3 min read

“गर्व करू, घमंड नहि”

डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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हम गर्व करैत छी कि हम भारतीय छी आ मिथिला क मैथिल छी ! हमर अपन लिपि अछि ,भाषा अछि आ सुंदर संस्कृति ! अनेक भाषा ,विभिन्य संस्कृति ,वेशभूषा आ खान -पान रहैत भारत मे एकता अछि तकर हमरा एहि पर गर्व अछि ! भारतीय सैन्य बल पर हमरा गर्व अछि ! देशक सुरक्षा मे लागल सिपाही पर हमरा गर्व अछि ! साधारणतया गर्व सकारात्मक शब्दक श्रेणीक द्वेतक अछि ! मुदा घमंड शब्द सुनैत हृदय विचलित भ जाइत अछि ! घमंड शब्द नकारात्मक शब्दक द्वेतक अछि ! गर्व केनाई सशक्त व्यक्तित्व क परिभाषा थीक ! मुदा घमंड शब्दक प्रयोग मूढ़ लोकनि करैत छथि ! ओना अनुपयुक्त आचरण , अकुशल व्यवहार ,कर्कश बोल ,अशिष्टता ,अमानवीय आ असामाजिक भंगिमा घमंड व्यक्ति क निशानी थीक ! घमंड व्यक्तिक विशेषता थीक जकर दूषित बसात सामाजिक प्रदूषण केँ बड़बैत अछि !
गर्व कयल जाइत अछि आ घमंडक आभास स्वतः भ जाइत अछि ! एहन व्यक्ति समाज ,ग्राम ,शहर ,देश सब ठाम प्रचुर संख्या मे उपलब्ध छथि ! इ घमंडक संक्रामक रोग फेसबूक क रंगमंच पर सहो सनिहा गेल अछि ! महान सँ महान व्यक्ति ,लेखक ,कवि ,साहित्यकार ,संगीतज्ञ ,कलाकार ,गायक ,चिकित्सक ,अभियंता ,नौकरशाह ,अधिवक्ता ,खेलाड़ी ,प्रवक्ता ,अभिनेता ,दिग्दर्शक इत्यादि एहि रंगमंचक शोभा बड़बैत छथि ! सामान्य लोक केँ इ गर्व क गप्प थीक जे हमरा रंगमंच में एते महान- महान लोक जुड़ाल छथि ! जुडय काल त सामान्य लोक सँ इ सब जुड़ि त गेलाह मुदा तकरा लेल दू शब्द नहि लिखि सकलाह आ नहि कहियो गप्प क सकलाह ! किछु एहि मे अपवादो छथि ! सम्पूर्ण जीवन इ महान आत्मा अपन उपलब्धि क प्रचार -प्रसार मे लागल रहलाह ! अपना सँ साधारण व्यक्ति केँ सदैव दलित बुझि तिरस्कार केलनि ! हमरा बुझने इ स्पष्टतः हिनका लोकनि केँ घमंडी कहब कोनो अतिशयोक्ति नहि भ सकैत अछि !
गर्व त हमरा हुनका पर होइत अछि जे सब चीज मे पूर्ण रहैत अपना सँ श्रेष्ठ केँ ,समतुल्य केँ आ अनुज केँ यथायोग्य सम्मान आ स्नेह दैत रहैत छथि ! समयानुकूल जिज्ञासा करबाक प्रयास सबकेँ करैत रहैत छथि! हुनका पर सब गर्व किया नहि करतनि ? तें त हुनका “ महानायक ” कहि सम्बोधन दसों दिशा मे गुंजित होइत रहैत अछि ! संयानुसारें अपन सुझाब ,प्रेरणा ,ढाढ़स,प्रोत्साहन आ अश्वासन दैत रहैत छथि ! ओ सभक जीवन मे प्रवेश करि कुशल क्षेम पूछइत रहैत छथि ! कहू एहन महान व्यक्ति पर के गर्व नहि करत ?
घमंडी व्यक्ति क आभास भेनाइ कोनो असहज नहि अछि ! व्यावहारिक जीवन में अपन आस -पड़ोस देखि केँ अनुमान सहजहि लागि जाइत अछि ! मुदा फेसबूक पर हुनक गतिविधि सँ अनुमान लगैत अछि जे अपना स्थान मे वो भने श्रेष्ठ छथि मुदा व्याहवारिकता मे वो नगण्य ! आहाँ न्यूज रीडर छी ,अभिनेता छी ,नेता छी ,कवि छी आ जीवनक श्रेष्ठ पद पर अवस्थित छी ,मुदा घमंड किया ? आहाँक मौनता ,निरुत्तरता ,अनदेखी ,अमान्यता क संक्रामकता देखि कियो जे मनोविज्ञानिक चिकित्सक नहियो छथि ओ आहाँ क नकारात्मक भंगिमा केँ देखि आ परखि केँ घमंडी रोग क निदान( Diagnosis ) क सकैत छथि ! कखनो – कखनो घमंडी व्यक्ति केँ दौरा सहो पड़ैत छनि ! मित्रता सूची मे त वो वरखो सँ संमलित छथि ! मुदा कहियो संवाद नहि भेल ! कखनो -कखनो एहन आगि उगलि देताह कि तकर उपचार ICU मे भेटनाई असंभव अछि ! अंततः हुनका सँ विदा लेमय पड़ैया ! बेमतलब क उतरा -चौरी मे किया लागल रहू ?
कर्तव्य एहन हेबाक चाहि जे हमरा पर लोक गर्व करए ! बहिर बनि जे अपने ताले नाचब त लोक घमंडी कहत ! अप्पन गप्प करू ,अप्पन प्रतिभा क प्रदर्शन करू ,समाज ,राज्य ,देश आ विदेश मे अप्पन परचम फहराऊ मुदा मित्र बनल छी त आर किछु नहि संवाद ,स्नेह ,शुभकामना ,बधाई आ सकारात्मक प्रोत्साहन देबा सँ अपना केँ बँचित नहि करू ! कनिष्ठ लोकनि सँ आग्रह अछि जे श्रेष्ठ लोकनि जखन प्रोत्साहन ,ढाढ़स ,स्नेह ,बधाई ,शुभकामना इत्यादि दैत छथि त हुनका THANKS मात्र कहि नेपथ्य मे विलीन नहि भ जेबाक चाहि ! हुनका आभार आ प्रणाम करबाक चाहि ! नहि त घमंड क उपाधि सँ आहूँ अलंकृत भ जायब !
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका,
झारखण्ड,
भारत

Language: Maithili
Tag: लेख
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