Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Dec 2023 · 2 min read

यमराज हार गया

संसार का शाश्वत सत्य है:
जन्म लिया है जिसने भी ,
होगा मारना कभी न कभी ,
छूट न सकता यहां कोई भी ।

कब लेना है जन्म किसे ?
कब आयेगी मौत किसे ?
कब निकलेगी उसकी आत्मा ?
जान पाया न अबतक कोई भी ।

सबको अपनी आयु जीना है,
असमय कोई न मर सकता है,
“मरण अधिकारी ” यमराज को भी
मिलती है हार, कभी न कभी ।

हार गया था वह सावित्री से,
गजराज से भी वह हारा था,
एक बार नही, कई बार हारा था
हार गया वह उत्तरकाशी में भी ।

41आत्माओं को फंसाकर सुरंग में,
फंस गए थे वे वहां स्वयं भी,
गिरा हुआ सुरंग का मलबा ;
निकलकर भागने नहीं दिया उसे भी ।

देश से, विदेश से आए अभियंता
कुशल – कार्यकर्ता विशेषज्ञ नियंता
लेकर अद्यतन नई -नई तकनीक
कर गए काम माउस माइनर्स भी ।

पहाड़ के देवता भाईखू नाथ ने
द्वार पर विराजती मां काली ने
कितना समझाया और बुझाया
नहीं सुना किसी की एक भी ।

आए देवी- देवता देवलोक से
धरती पर देव – दीपावली देखने
सुनकर सुरंग की दर्दनाक घटना
आश्चर्य चकित हुए थे वे भी ।

“यमराज “! यह क्या कर डाला तुमने
छल कर डाला इतने निश्छल से
निर्माता था, कुशल कारीगर था
निर्णायक कैसे रह सकते हो आगे भी ।

अभी काम समाप्त नहीं हुआ था,
अभी काम बहुत ही बांकी था,
इन्हें ही सुंदर उपयोगी बनाना था ,
नहीं निभाया अपनी जिम्मेदारी भी ।

17 दिन 16 रातें बीत गई है
न सूरज देखें हैं इन्होंने अबतक,
न चांद को देखें हैं इन्होंने अबतक,
किं कर्तव्य विमुड हो तुम अब भी ।

27 नवम्बर के दिन संध्या के समय
निकले सभी मजदूर बारी बारी से
स्वस्थ सकुशल चिंता रहित से
भीतर रहा न अब कोई भी ।

वह अमावस्या का काला दिन था
आज पूनम के बाद का सुखद दिन था
वह पारंपरिक दीपावली का दिन था
हर्षित हो मनाया दीपावली देश आज भी ।

एक बार ही मिलती है यहां मौत,
बार -बार नही मिलती है यहां मौत,
दोबारा जिंदगी भी कहां मिलती है?
” भूल -सुधार ” के बाद मिलती है जिंदगी भी ।
**********”*”************”******”****
रचना- घनश्याम पोद्दार
मुंगेर

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 171 Views
Books from Ghanshyam Poddar
View all

You may also like these posts

Good Night
Good Night
*प्रणय*
मदिरा
मदिरा
C S Santoshi
पीड़ा थकान से ज्यादा अपमान दिया करता है ।
पीड़ा थकान से ज्यादा अपमान दिया करता है ।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
मेरे देश की बेटियों
मेरे देश की बेटियों
करन ''केसरा''
मिस इंडिया
मिस इंडिया
Shashi Mahajan
मैं क्यों याद करूँ उनको
मैं क्यों याद करूँ उनको
gurudeenverma198
गुज़र गये वो लम्हे जो तुझे याद किया करते थे।
गुज़र गये वो लम्हे जो तुझे याद किया करते थे।
Phool gufran
हाशिये पर बैठे लोग
हाशिये पर बैठे लोग
Chitra Bisht
दोहे
दोहे
seema sharma
2633.पूर्णिका
2633.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
स्वयं से परीक्षा
स्वयं से परीक्षा
Saurabh Agarwal
# विचार
# विचार
DrLakshman Jha Parimal
गीत- नशा देता मज़ा पहले...
गीत- नशा देता मज़ा पहले...
आर.एस. 'प्रीतम'
*अन्नप्राशन संस्कार और मुंडन संस्कार*
*अन्नप्राशन संस्कार और मुंडन संस्कार*
Ravi Prakash
फूल   सारे   दहकते  हैं।
फूल सारे दहकते हैं।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ताटंक कुकुभ लावणी छंद और विधाएँ
ताटंक कुकुभ लावणी छंद और विधाएँ
Subhash Singhai
" लफ़्ज़ "
Dr. Kishan tandon kranti
लंगड़ी किरण (यकीन होने लगा था)
लंगड़ी किरण (यकीन होने लगा था)
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
एक चुप्पी
एक चुप्पी
Lalni Bhardwaj
ख़ुद के लिए लड़ना चाहते हैं
ख़ुद के लिए लड़ना चाहते हैं
Sonam Puneet Dubey
सच्चाई
सच्चाई
Seema Verma
किसी का साथ देना सीखो
किसी का साथ देना सीखो
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
राह अपनी खुद बनाना
राह अपनी खुद बनाना
श्रीकृष्ण शुक्ल
- प्रेम के पंछियों को सिर्फ प्रेम ही दिखता है -
- प्रेम के पंछियों को सिर्फ प्रेम ही दिखता है -
bharat gehlot
कहानी उसके हाथ में है, वो..
कहानी उसके हाथ में है, वो..
Shweta Soni
मोहन
मोहन
Rambali Mishra
कुछ बातें ज़रूरी हैं
कुछ बातें ज़रूरी हैं
Mamta Singh Devaa
रोशनी की शिकस्त में आकर अंधेरा खुद को खो देता है
रोशनी की शिकस्त में आकर अंधेरा खुद को खो देता है
डॉ. दीपक बवेजा
गरीबी
गरीबी
पूर्वार्थ
अब तलक तुमको
अब तलक तुमको
Dr fauzia Naseem shad
Loading...