हारने से पहले कोई हरा नहीं सकता
रिश्तों में बेबुनियाद दरार न आने दो कभी
सच दिखाने से ना जाने क्यों कतराते हैं लोग,
अपनी सरहदें जानते है आसमां और जमीन...!
सोचो अच्छा आज हो, कल का भुला विचार।
*जश्न अपना और पराया*
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
अच्छा बोलने से अगर अच्छा होता,
जो दर्द किसी को दे, व्योहार बदल देंगे।
क्या मुकद्दर बनाकर तूने ज़मीं पर उतारा है।
एसी कहाँ किस्मत कि नसीबों में शिफा हो,
तेरी मौन की भाषा समझता हूॅं...
मरूधर रा बाशिंदा हा
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
- जन्म लिया इस धरती पर तो कुछ नेक काम कर जाओ -