ग़ज़ल
ग़ज़ल
नौजवानों को जगाना चाहता हूँ
देश में फिर क्रान्ति लाना चाहता हूँ
नाग भ्रष्टाचार के फन को कुचलकर
राष्ट्र का संकट हटाना चाहता हूँ
प्यार का सागर बहे पूरी धरा पर
मैं उसी में डूब जाना चाहता हूँ
हो सके सब खेत के ढेले बराबर
इस तरह का हल चलाना चाहता हूँ
पक रहे हैं आम तो मिल बाँट खाएं
सिर्फ मै अवधू न खाना चाहता हूँ
अवध किशोर ‘अवधू’
मोबाइल नंबर9918854285
दिनांक28-01-2025