Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 May 2024 · 1 min read

करना है विज्ञान प्रसार

मिट्टी,हवा और पानी में परिलक्षित मानव व्यवहार।
हर पदार्थ में बसे ऊर्जा कुछ भी नहीं यहां बेकार।।

विज्ञान गणित में भेद कहां?समझोगे उमड़ेगा प्यार ।
आओ प्यारे साथी आओ ! करना है विज्ञान प्रसार ।।

द्रव्यमान संरक्षण के भी नियम का होता यही सार।
जगत में ना कुछ नया बनें ना ही कुछ होता बेकार।।

मानव जीवन रहे ना रहे ! अमिट पदार्थ मय संसार।
इसी पदारथ के अणुओं में बसती है ऊर्जा अपार।।

खून बहाना उचित नहीं ! बोल रहा इसका रंग लाल।
उगता हाे या छिपता सूरज दोनों का रंग होता लाल।।

ये घटनाएं तब घटती हैं तरंगदैर्ध्य जब करे कमाल।
अनुपात समय दूरी का बदले तभी बदलती चाल।।

आ उतार ले चांद धरा पर पानी स्वच्छ भरेंगे थाल।
दूषित हवा छानकर खींचे नाक में जो होते हैं बाल।।

पेड़ों की रक्षा की खातिर तने को ढककर रखे छाल।
अन्धविश्वास रूढ़ियां त्यागो तकनीकी बन जाए ढाल।।

जिसने तकनीकी को जाना उसने दुनियां को पहचाना।
तकनीकी बिनु बहुत कठिन है इस दुनियां में रह पाना।।

तकनीकी नैनों से ही तो अर्जुन देखे रूप विराट।
ज्ञान और विज्ञान शक्ति से बना गया वाणों की खाट।।

मेरी इन प्रेरक बातों का पोषक है वैज्ञानिक आधार।
आओ ! प्यारे साथी आओ ! करना है विज्ञान प्रसार।।

Language: Hindi
1 Like · 148 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

गर बिछड़ जाएं हम तो भी रोना न तुम
गर बिछड़ जाएं हम तो भी रोना न तुम
Dr Archana Gupta
रजनी छंद (विधान सउदाहरण)
रजनी छंद (विधान सउदाहरण)
Subhash Singhai
क्यों ऐसा अक्सर होता है,
क्यों ऐसा अक्सर होता है,
Madhu Gupta "अपराजिता"
मेघ, वर्षा और हरियाली
मेघ, वर्षा और हरियाली
Ritu Asooja
लोगो का व्यवहार
लोगो का व्यवहार
Ranjeet kumar patre
सियाचिनी सैनिक
सियाचिनी सैनिक
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
रामलला फिर आएंगे
रामलला फिर आएंगे
इंजी. संजय श्रीवास्तव
बदले नजरिया समाज का
बदले नजरिया समाज का
Dr. Kishan tandon kranti
” मजदूर की जुबानी “
” मजदूर की जुबानी “
ज्योति
*जीवनसंगिनी*
*जीवनसंगिनी*
AVINASH (Avi...) MEHRA
होली
होली
ARVIND KUMAR GIRI
सियासत खुद का पेट भरेगी
सियासत खुद का पेट भरेगी
Dr. Kishan Karigar
सुमुखि सवैया
सुमुखि सवैया
seema sharma
सर्दियों की धूप
सर्दियों की धूप
Vandna Thakur
धड़कन की तरह
धड़कन की तरह
Surinder blackpen
सही मायने में परिपक्व होना अपने भीतर की अंधकार, जटिलताओं और
सही मायने में परिपक्व होना अपने भीतर की अंधकार, जटिलताओं और
पूर्वार्थ
क्या हम वास्तविक सत्संग कर रहे है?
क्या हम वास्तविक सत्संग कर रहे है?
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
कफन
कफन
Kanchan Khanna
फर्श पे गिर के  बिखर पड़े हैं,
फर्श पे गिर के बिखर पड़े हैं,
हिमांशु Kulshrestha
राज़-ए-इश्क़ कहाँ छुपाया जाता है
राज़-ए-इश्क़ कहाँ छुपाया जाता है
शेखर सिंह
Poem
Poem
Prithwiraj kamila
4105.💐 *पूर्णिका* 💐
4105.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
मुक्तक
मुक्तक
sushil sarna
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*प्रणय प्रभात*
पतझड़ में
पतझड़ में
इशरत हिदायत ख़ान
ना कोई सुनने वाला है ना कोई पढ़ने वाला है किसे है वक्त कुछ कह
ना कोई सुनने वाला है ना कोई पढ़ने वाला है किसे है वक्त कुछ कह
DrLakshman Jha Parimal
महाकुंभ
महाकुंभ
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
जिंदगी में कभी उदास मत होना दोस्त, पतझड़ के बाद बारिश ज़रूर आत
जिंदगी में कभी उदास मत होना दोस्त, पतझड़ के बाद बारिश ज़रूर आत
Pushpraj devhare
22. We, a Republic !
22. We, a Republic !
Ahtesham Ahmad
Loading...