कृष्ण भक्ति में मैं तो हो गई लीन...
समंदर है मेरे भीतर मगर आंख से नहींबहता।।
ज़माने में हर कोई अब अपनी सहूलियत से चलता है।
देख रे भईया फेर बरसा ह आवत हे......
हमें सकारात्मक और नकारात्मक के बीच संबंध मजबूत करना होगा, तभ
अधिकतर ये जो शिकायत करने व दुःख सुनाने वाला मन होता है यह श
सरकारों के बस में होता हालतों को सुधारना तो अब तक की सरकारें
यूँ तो बुलाया कई बार तूने।
उसे दिल से लगा लूँ ये गवारा हो नहीं सकता
वो भी क्या दिन थे ...( एक उम्र दराज़ की दास्तान )
शीर्षक:गुरु हमारे शुभचिंतक
नाबालिक बच्चा पेट के लिए काम करे
वो मेरे हर सब्र का इम्तेहान लेती है,
माँ की कहानी बेटी की ज़ुबानी
यादों की बारिश
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
तुमने अखबारों में पढ़ी है बेरोज़गारी को