Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Sep 2024 · 5 min read

परिचर्चा (शिक्षक दिवस, 5 सितंबर पर विशेष)

देश भर में 5 सितंबर का दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को समर्पित है। 5 सितंबर को ही उनकी जयंती भी होती है। इस दिन शिक्षा के जगत में उनके अतुलनीय योगदान और उपलब्धियों को याद किया जाता है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन प्रख्यात विद्वान, भारतीय संस्कृति के संवाहक और महान दार्शनिक थे। यह दिन शिक्षकों के प्रति प्यार और सम्मान, आभार व्यक्त करने का दिन है। इस अवसर पर हम अपने शिक्षकों के अथक समर्पण और अटूट प्रयासों के लिए अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। शिक्षक दिवस के दिन स्कूल और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, कई स्कूलों में निबंध, पोस्टर प्रतियोगिताएं भी होती हैं। छात्र अपने पसंदीदा शिक्षकों के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं। हमारे साथ हमारे पाठकों ने अपने विचार साझा किए हैं, आइए जानते हैं, उनकी ही जुवानी-

(1)
भारतीय ग्रंथों में लिखा है- “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नम:।।“ अर्थात गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है, गुरु ही शंकर है; गुरु ही साक्षात् परब्रह्म हैं, उन सद्गुरु को मैं प्रणाम करती हूँ। अगर इसका अर्थ सरल शब्दों में कहूँ तो, इस संसार में गुरु से बढ़कर कोई दूसरा नहीं है। आप उम्र से कितने भी बड़े हो जाएँ, कितने बड़े पंडित या विद्वान हो जाएँ, फिर भी गुरु की सेवा व उनके ज्ञान की सदा हमें जरूरत है। जैसे भगवान इस संसार की रक्षा कर रहे हैं, वैसे ही शिक्षक इस संसार में रहते हुए अपने कर्तव्य निभा रहे हैं। इसलिए सदा गुरु का सम्मान करना, प्रणाम करना, उनके आदर्श-अनुशासन स्वीकार करना हम सबके लिए आवश्यक है, तभी हम सब अपने जीवन का कुशलतापूर्वक निर्वाह कर सकते हैं। अंत में मैं अपने उन सभी गुरुजनों को प्रणाम करती हूँ, जिन्होंने मुझे इतना कुछ सिखाया।
सकुन्तला गुणतिलक
श्रीलंका

(2)
सबके जीवन में गुरु का विशेष महत्व है। गुरु शब्द में ’गु’ का अर्थ है -’अंधकार’ और ’रु’ का अर्थ है- ’प्रकाश’ अर्थात गुरु का शाब्दिक अर्थ हुआ- ’अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला मार्गदर्शक’। सही अर्थों में गुरु वही है, जो अपने शिष्यों का मार्गदर्शन करे और जो उचित हो उस ओर शिष्य को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे।
आया मुहम्मद इब्राहिम
मिस्र (इजिप्ट)

(3)
गुरु हमारे मार्गदर्शक ही नहीं, वे संपूर्ण जीवन को बनाने वाले हैं। गुरु अंधकार से प्रकाश की ओर, अज्ञानता से ज्ञान की ओर और भ्रम से स्पष्टता की ओर ले जाने का कार्य करते हैं। गुरु जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। गुरु से ही हमें एक-दूसरे का सम्मान करना और अपने देश से प्रेम करना सीखने को मिलता है।
“अर्जुन के तुम कृष्ण हो, सुग्रीव के तुम राम।
मेरे जीवन की नैया तुम, गुरु तुम्हारा नाम।।“
लिप्सारानी गिरि
शिक्षिका
सरकारी उच्च विद्यालय, दुर्दुरा, ओड़िशा

(4)
गुरु का महत्व एक शिष्य के जीवन में अनुपम होता है। हम चाहे कितने भी सक्षम क्यों न हों, गुरु के अभाव में हम अपने उचित लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते हैं। उचित-अनुचित का भेद गुरु वाणी से ही मुखरित होता है। ब्रह्मांड ज्ञान का सागर है। हमारी चेतना एक छोटे से मटके के समान है, पर इस छोटे से गागर में ज्ञान रूपी सागर को कैसे भरना है, यह गुरु के सानिध्य से ज्ञात होता है। जिस प्रकार हीरा स्वयं में मूल्यवान होते हुए भी जौहरी के तराशने पर ही उसमें शुद्ध निखार और चमक आती है, तब जाकर उसका सटीक मूल्य का पता चलता है। ठीक उसी प्रकार गुरु हमारी ज्ञान रूपी चेतना को जागृत कर हमारा स्वयं हमसे ही परिचय करवाते हैं। गुरु और शिष्य का संबंध नदी और उसकी धारा की तरह है। गुरु के बिना शिष्य धारा विहीन नदी के समान है, जिसका कोई अस्तित्व नहीं होता। हमारे धर्म ग्रंथों में ईश्वर ने भी गुरु का स्थान स्वयं से ऊँचा बताया है। मैं अपने ऐसे सभी गुरुजनों को प्रणाम करती हूँ।
मंजु कुमारी मिश्रा
होजाई, असम

(5)
हमारे जीवन में गुरु का स्थान सर्वोपरि है। गुरु के बिना हमारी शिक्षा की यात्रा अधूरी है। गुरु के मार्गदर्शन से ही हम अपने जीवन के सही मार्ग को पा जाते हैं। शिक्षक दिवस का उत्सव ‘ज्ञान’ और ‘प्रेरणा’ का सम्मान करने का दिन है। इंसान अपने जीवन में सब कुछ कर सकता है, परंतु वह जो कर रहा है, वह काम सही है या नहीं, ये सीख उसे गुरु से मिलती है। एक दूसरे का सम्मान करना और अपने देश से प्रेम करना गुरु से ही सीखने को मिलता है। हमें जीवन हमारे माता-पिता से मिलता है और जीवन जीना गुरु सिखाते हैं।
डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी
(शिक्षक, साहित्यकार)
चंदौसी, सम्भल (उ.प्र.)

(6)
बेशक आज इंटरनेट का जमाना है, लेकिन गुरु का महत्व आज भी सर्वोपरि है। आज जानकारी और आंकड़े प्राप्त करने के लिए गूगल, यूट्यूब, फेसबुक, टेलीग्राम आदि तमाम इंटरनेट साइट्स हैं, लेकिन एक शिक्षक का स्थान कोई नहीं ले सकता। माता-पिता के बाद शिक्षक ही होता है, जो अपने विद्यार्थियों को आगे बढ़ते हुए देखकर खुश होता है। एक अच्छा शिक्षक हमें हमेशा आगे बढ़ने को प्रेरित करता है। वह अंधविश्वास और अज्ञानता के अंधकार से हमें निकालता है। गुरु का अर्थ ही यह होता है कि अपने शिष्यों को अंधकार से उजाले की तरफ ले जाना। मुझे अपने गुरुओं की बताई एक-एक बात याद है, जिनसे मेरे जीवन में अभूतपूर्व बदलाव आया।
सतीश कुमार अल्लीपुरी
(शिक्षक, साहित्यकार)
बहजोई, सम्भल (उ.प्र.)

(7)
हर व्यक्ति के जीवन में गुरु की महत्ता को नकारा नहीं जा सकता। गुरु अपने शिष्य को अंधकार से निकालने का काम करता है। इसलिए माँ के बाद गुरु का स्थान आता है। गुरु खुद दीपक की तरह जलकर शिष्य को अंधेरे में रास्ता दिखाने का काम करते हैं। इसलिए गुरु को ईश्वर से भी बड़ा माना गया है। गुरु अज्ञानता दूर करके ज्ञान का प्रकाश देते हैं और मोक्ष के द्वार तक पहुंचाने का काम करते हैं। गुरु अपने शिष्य को अपने ही स्तर तक उठने में मदद करते हैं।
अनुज पाल ‘सार्थक’
आटा, चंदौसी (उ.प्र.)

(8)
मेरे जीवन में गुरु का दर्जा ईश्वर के समान है। “गुरु बिन भव निधि तरइ न कोई, जौ बिरंचि संकर सम होई।” अर्थात भले ही कोई ब्रह्माजी और शंकर जी के समान क्यों न हो, किंतु बिना गुरु के भवसागर को पार नहीं कर सकता। अच्छे-बुरे की पहचान करना गुरु ही बताते हैं। हम आज जो भी हैं, गुरु के आशीष से ही हैं। ऐसे अपने गुरुओं को मैं बार-बार प्रणाम करती हूँ।

प्रभा राघव
पिता : श्री शेवेंद्र सिंह राघव
ग्रा. मुल्हैटा, पो. बहजोई,
तह. चंदौसी, जि. सम्भल
(उ.प्र.)

(9)
प्रत्येक वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। शिक्षक दिवस डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह हमारे शिक्षकों को सम्मान देने का दिन है, क्योंकि वे हमारे जीवन में ज्ञान, अनुशासन एवं नैतिक मूल्यों को स्थापित करते हैं। वे न केवल शिक्षा देते हैं, बल्कि हमारे चरित्र का निर्माण भी करते हैं। शिक्षक का योगदान अमूल्य है, इसलिए सभी शिक्षकों को आभार व्यक्त करने का अद्भुत अवसर है यह दिन।
अविनाश वेदान्त किसून
त्रिनिदाद एवं टोबैगो

(10)
शिक्षक दिवस हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण लोगों को सम्मानित करने का दिन है। हमारे शिक्षक हमारे मार्गदर्शक, हमारे प्रेरणास्रोत और हमारे दूसरे माता-पिता होते हैं। वे हमें ज्ञान और जीवन के मूल्यों से भर देते हैं। उनके बिना हम कुछ भी नहीं होते। शिक्षक दिवस पर हम उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उनके योगदान को याद करते हैं।
संगीता हुसैन
त्रिनिदाद एवं टोबैगो

1 Like · 1 Comment · 145 Views

You may also like these posts

ज़िन्दगी थोड़ी भी है और ज्यादा भी ,,
ज़िन्दगी थोड़ी भी है और ज्यादा भी ,,
Neelofar Khan
समय
समय
Dr. Pradeep Kumar Sharma
तुम समझते हो कि हम रिश्ते की दुहाई देंगे,
तुम समझते हो कि हम रिश्ते की दुहाई देंगे,
Jyoti Roshni
रचना प्रेमी, रचनाकार
रचना प्रेमी, रचनाकार
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
कविता-सुनहरी सुबह
कविता-सुनहरी सुबह
Nitesh Shah
"तब तुम क्या करती"
Lohit Tamta
★डॉ देव आशीष राय सर ★
★डॉ देव आशीष राय सर ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
एक दिन
एक दिन
Dr fauzia Naseem shad
बुझाने को तैयार हैं कई दिल की आग को,
बुझाने को तैयार हैं कई दिल की आग को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
प्रेम ही पूजा है
प्रेम ही पूजा है
dhanraj vishwakarma
इस बरसात में
इस बरसात में
dr rajmati Surana
😢आतंकी हमला😢
😢आतंकी हमला😢
*प्रणय*
2671.*पूर्णिका*
2671.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
'भारत पुत्री'
'भारत पुत्री'
Godambari Negi
विरह पीड़ा
विरह पीड़ा
दीपक झा रुद्रा
"सलाह"
Dr. Kishan tandon kranti
मैं बग़ैर आंसुओं के भी रोता रहा।।
मैं बग़ैर आंसुओं के भी रोता रहा।।
Vivek saswat Shukla
सकारात्मक सोच की शक्ति अपने आप में तब निश्चितता की भावना उत्
सकारात्मक सोच की शक्ति अपने आप में तब निश्चितता की भावना उत्
ललकार भारद्वाज
#ਤੇਰੀਆਂ ਮਿਹਰਬਾਨੀਆਂ
#ਤੇਰੀਆਂ ਮਿਹਰਬਾਨੀਆਂ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
मरूधर रा मिनखं
मरूधर रा मिनखं
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
कलम की दुनिया
कलम की दुनिया
Dr. Vaishali Verma
वक्त की किमत
वक्त की किमत
Avani Yadav
तुम्हारे लिए : हरवंश हृदय
तुम्हारे लिए : हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
नए साल के ज़श्न को हुए सभी तैयार
नए साल के ज़श्न को हुए सभी तैयार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"समाज विरोधी कृत्य कर रहे हैं ll
पूर्वार्थ
*स्वच्छ गली-घर रखना सीखो (बाल कविता)*
*स्वच्छ गली-घर रखना सीखो (बाल कविता)*
Ravi Prakash
” शायद तु बेटी है ! “
” शायद तु बेटी है ! “
ज्योति
जिंदगी झंड है,
जिंदगी झंड है,
कार्तिक नितिन शर्मा
छलनी सब सपने हुए,
छलनी सब सपने हुए,
sushil sarna
* प्यार की बातें *
* प्यार की बातें *
surenderpal vaidya
Loading...