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9 Jan 2025 · 2 min read

प्रस्तावना

प्रस्तावना अनिल शुक्ला
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डॉ. मनोज श्रीवास्तव एक ऐसा नाम है, जो साहित्य और काव्य के क्षेत्र में अपनी अद्भुत यात्रा से हर दिल को छू जाता है। जबलपुर, मध्य प्रदेश में 1 जनवरी 1951 को जन्मे इनका मूल निवास ग्राम बिलहरी पुष्पावती नगरी कटनी है
डॉ. मनोज ने औद्योगिक अभियंत्रण में स्नातक (IIIE, मुंबई) किया और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), लखनऊ में वरिष्ठ प्रबंधक (प्रशिक्षण) के रूप में सेवाएं दीं।

लेकिन उनकी असली पहचान है उनकी लेखनी। पिछले 65 वर्षों से वे गीत, गज़ल, हास्य-व्यंग्य, ओजस्वी रचनाएं, अध्यात्म और दोहों से साहित्य को समृद्ध कर रहे हैं। उनकी सात किताबें—”महज़ सुकरात का डर है”, “जयघोष”, “दुनिया एक मुसाफिर खाना”, “नए तेवर”, “सपन तुम्हारे नयन हमारे”, “बिन गुलाल के लाल”, “राष्ट्र गौरव” और कविता की कविताई गायब—साहित्य प्रेमियों के दिलों में जगह बना चुकी हैं। इन कृतियों को गोपालदास नीरज, डॉ. कुमार विश्वास और के.पी. सक्सेना जैसे दिग्गजों का आशीर्वाद मिला है।

डॉ. मनोज की खासियत है उनकी काव्यात्मक मंच संचालन शैली, जो हर मंच पर श्रोताओं को बांधकर रख देती है। लखनऊ कनेक्शन वर्ल्डवाइड समूह में उनका योगदान न केवल एक कवि के रूप में बल्कि एक प्रेरणादायक सदस्य के तौर पर भी सराहनीय है। उनके पोस्ट और रचनाओं ने समूह को और जीवंत बना दिया है, जिसके लिए उन्हें Outstanding Contributor का सम्मान भी दिया गया।

डॉ. मनोज मानते हैं कि “कविता जीवन के हर पहलू को समझने और व्यक्त करने का सबसे सशक्त माध्यम है।” यही कारण है कि उनकी रचनाएं न केवल दिलों को छूती हैं, बल्कि जीवन के हर रंग को बखूबी पेश करती हैं। साहित्य के प्रति उनका यह समर्पण और सादगी उन्हें हर दिल का चहेता बना देती है।
अनिल शुक्ला
सीनियर एडमिन LCWW
C240 इंदिरा नगर लखनऊ 226016
यह भी गायब वह भी गायब

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