24— 🌸 कोहरे में चाँद 🌸

आज चाँद देर से निकलता है?
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“…. कोहरे में चाँद”…
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चाँद अब कम ही दिखता है.
और देर से भी निकलता है
सीमेंट के बढ़ते जंगल हैँ.
फिर भी बात जोटते हर पल हैँ..
ना तू आता दिखायी देता है है..
आसमान भी अकेला बैठा है
बदली से झाँक ले ऐ चाँद.!
बेचैन चांदनी तेरी राह तके है.
हो तुम दूर पर पास ही लगते हो।
रोज़ आते हो आज क्यों छुपते हो?
ढूँढते है तुम्हें धुंधले आसमान में
एक नज़र तो मिलाओ इन नज़रों से
कल करा लेना फिर इंतज़ार
आज तो ज़मीं भी है बेक़रार
ये “चाँद” चाँद को पुकारे है
आ मिलो तुम भी मेरे चाँद से.
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महिमा शुक्ला..
इंदौर.