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5 Aug 2023 · 1 min read

दूर भाग जाएगा ॲंधेरा

तुम्हें पथ से विचलित करने अगर
राह में चाहे छाया हो घना अंधेरा
चाहे मायूसी ने हीं क्यों नहीं तुम्हारे
चारों ओर ही डाला हो अपना डेरा

पथ कैसा भी हो कदम चले निरंतर
किंचित मन में कोई भय नहीं हो
आत्मबल इतना ठोस हो जिससे
साहस का भी कभी क्षय नहीं हो

जब तुम अपने हौसलों के बल पर
खुलकर अपनी उड़ान भरते हो
तो फिर इन आसन्न बाधाओं से
अकारण तनिक भी क्यों डरते हो

बाधाएं तुम्हें हरदम जोश दिलाती
बाधाओं को तुम हथियार बना लो
इच्छाशक्ति एकदम ठोस बनाकर
स्वयं अपने बेड़ा को पार लगा लो

पथ आलोकित होगा तेरे दम से
तब कहीं दूर भाग जाएगा अंधेरा
लक्ष्य पाने की तुम्हारी जिद्द से ही
हर जगह नाम हो जाएगा तेरा

सफलता के उच्च शिखर पर तब
अपनी ही चमक से चमकोगे तुम
अपने बल से अपनी राह बनाकर
अपनी ही विजय पर दमकोगे तुम

Language: Hindi
426 Views
Books from Paras Nath Jha
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